प्यार

अरुणिता
द्वारा -
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   अरे सुकुना आज तो बड़ी सजी धजी ,क्या बात है ,ये भरे हाथ चूड़ी टिकुली बिंदी लाली , माजरा क्या है ?

सुमन ने अपनी बाई को आज मुस्कुराते चमचमाते देखा तो अचानक मन में आए विचार होटों तक आ गए .

हाँ बीबीजी ,आज आपके यहाँ से काम करने के बाद मै और मेरा मरद सीधे पिक्चर जाएँगे “

लेकिन कल तो उसने तुम्हें बहुत मारा था ,देख अब भी तेरे हाथ ,कमर पर निशान है ,तू रोती हुई आई थी “

हाँ बात तो सही है लेकिन उसने आज मुझसे माफ़ी माँगी थी सुबह ,कि अब दारू छोड़ने की कोशिश करेगा “

ये बात तो तेरे मरद ने पिछली बार भी कही थी जब मारने के बाद माफ़ी माँगी थी “

आप ठीक कह रही हो बीबी जी ,लेकिन एक दिन में ही शराब कही छूटती है ,मौक़ा तो देना पड़ता है ,सुधार के लिए इंतज़ार भी तो करना पड़ेगा ,फिर मैं उसे रोज़ लड़ूँगी तो और भडकेगा ,इसलिए समय दे रही हूँ समझती हूँ और प्यार दे रही हूँ .”

एक लम्बी सास खींच बाई दो मिनट के लिए चुप हो गई .फिर सोचकर

एक बात बताओ बीबीजी मान लो मैं इसे छोड़ भी दूँ और तलाक ले लूँ,कब तक अकेली रहूँगी ,दूसरी शादी तो करनी पड़ेगी और अगर वो भी शराबी हुआ तो ,इससे अच्छा है इसे ही प्यार से सुधारा जाए “प्यार का विश्वास भी तो कुछ होता है ।

और एक चमक उसकी आँखों में प्रस्फुटित हो चेहरे को आत्म विश्वास से भर गई ।

अच्छा बताओ बीबीजी क्या मैं ग़लत कह रही हूँ ?”

और मैं उसके चेहरे को देखते हुए सोचने लगी .

कितनी बड़ी बात कह दी सुकुना ने ,,सुखी जीवन का मंत्र दे दिया  इसने ,जबकी ये पढ़ी लिखी भी नही है .और आजकल के बच्चे छोटी सी बात पर झगड़ा कर तलाक़ ले लेते है .कमा तो सुकुना भी रही है .बल्कि अपने पति से ज़्यादा ही कमाती है लेकिन जीवन का जो नज़रिया इसने देखा है वही सही है ,आज के जीवन को देखते हुए ।

रोज़ तलाक़ और उसके होने वाले दुष्प्रभाव का दंश आज की पीढ़ी झेल रही है ।

नही ,सुकुना तू एकदम सही है ,सुधारने का मौक़ा देना ही तो बुद्धिमानी है ,वरना जीवन में भटकाव का अंत नही है “

और वो  सोचने लगी काश उसकी बेटी भी इतनी समझदार होती तो पैंतालीस साल की उमर में अकेले जीवन ना ढो रही होती ,जिसने अपने पति को ज़रा सी बात पर तलाक़ दे दिया .यह सोचकर कि उसे दबने की ज़रूरत नही .लाखों कमाती है ,जबकि अर्थ और जीवन सिद्धांत दो अलग पहलू हैं ।

 

सवि शर्मा

देहरादून

 

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