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ग़ज़ल

 आप की बेरुखी पर

 हम अपनी जान छीड़कते हैं।

यह क्या कम है कि

हम आप पर मरते हैं।

 

आप को देख कर

हम आहें भरते हैं।

यह क्या कम है कि

हम आप की तारीफ करते हैं।

 

आप की खूबसूरती पर

हम रोज गजल लिखते हैं।

यह क्या कम है कि

हम आप की जुस्तजू करते हैं।

 

आप की सलामती की

खुदा से दुआ मांगते हैं।

यह क्या कम है कि

आप को दिल में रखते हैं।

 

बद्री प्रसाद वर्मा अनजान

अध्यक्ष स्वर्गीय मीनू रेडियो श्रोता क्लब

गल्ला मंडी गोला बाजार

 गोरखपुर, उ0 प्र0