आशा-वन्दना

अरुणिता
द्वारा -
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 आशा से आकाश है,आशा में आलोक।

आशाएँ करतीं सदा,पराभूत हर शोक।।

 

आशाएँ हों बलवती,तो जीवन भरपूर।

आशाओं से हर खुशी,जीवन में हो नूर।।

 

डरकर रुक जाना नहीं,सुन ऐ मेरे मीत।

 संघर्षों से तू निभा,हर मुश्किल में प्रीत।।

 

मन को कर तू शक्तिमय,ले हर मुश्किल जीत।

 काँटों पर गाना सदा,तू फूलों के गीत।।

 

हर मुश्किल में जब जले,आशाओं के दीप।

तब ही मिल पाती सतत्,चलकर विजय समीप।।

 

मन को कभी न हारना, हरदम रख आवेश।

राणा साँगा सा रहे,प्रिय नित तेरा वेश।।

 

बढ़ना है हर राह पर,लेकर मंगलभाव।

सम्बल जिसके साथ है,रहता विजय-प्रभाव।।

 

आशा नित देती हमें,सम्बल का आलोक।

जहाँ आस है,है वहाँ,जगमग करता लोक।।

 

अंधकार को चीरकर,लाता नवल विहान।

आशा का लघुदीप तो,करे पूर्ण अरमान।।

 

आशा तो इक पर्व है,आशा तो आनंद।

आशा गढ़ती है सदा,नव कौशल के छंद।।

 

         -प्रो(डॉ0)शरद नारायण खरे

                   प्राचार्य

शासकीय जेएमसी महिला महाविद्यालय

                मंडला(मप्र)

 

 

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