Ads Section

नवीनतम

10/recent/ticker-posts

बेटी

 बेटी होती एक गुड़िया सी,

सब पर प्यार लुटाती है,

सारी दुनिया के गुलशन को,

बेटी ही महकाती है ।

 

परियों सी होती है बेटी,

मुस्काती, इठलाती है,

जीवन की हर कठिनाई को,

हंसकर ही सह जाती है ।

 

अपने कोमल पंखों से,

छू गगन शौर्य दिखलाती है,

छा जाती वो विश्वपटल पर,

मैंरीकॉम बन जाती है ।

 

होती है जब बात आन की,

लक्ष्मीबाई बन जाती है,

शिरीषा और कल्पना बन,

अपना परचम लहराती है ।

 

ज्योति जलाकर शिक्षा की,

घर-घर प्रकाश फैलाती है,

अपनी त्याग, तपस्या से,

हर घर को स्वर्ग बनाती है ।

 

आन मान गौरव हेतु वो,

दीपदान कर जाती है,

सीता सावित्री अनुसूया बन,

त्याग मूर्ति कहलाती है । 

 

शक्ति स्वरूपा बिन किस,

देहरी द्वारे दीप जलाओगे ?

ना होगी बेटी इस जग में ,

बहू कहां से लाओगे?

 

डॉ0  मीनाक्षी गंगवार

प्रधानाचार्या , राजकीय बालिका हाई स्कूल

उन्नाव, उन्नाव उत्तर प्रदेश