सज-धज धरा पर उतरी।
मन मोहती विश्व-मोहिनी,
शरद नायिका नववधू-सी।
तरू से पात गये सब झर,
नव कोंपलों का हुआ सृजन।
ओस के बूंद गिरे पर्ण पर,
चमकता-दमकता मोती सम।।
लहराती हवा चली सर-सर,
पल्लव पर मचाए हल-चल।
श्वेत पुष्पो से ढकी धरनीं,
मधुर राग सुनाती राजहंसी।।
झूमती-कुसुम इठलाती-मुकुल,
महकती-प्रसून खिलती-कलियां ।
गंधवाही मंद बयार,भ्रमर
गुजंरित-उल्लासित पंक्तियां।।
शरद का नील-श्वेत-वर्ण,
अमलरत्न-सा आकाश।
अमृतवर्षिणी चांदनी,कमल
कुमुदीनियो भरा ताल-तड़ाग।।
हरश्रृंगार पूष्पो का कर श्रंगार,
मानो धवल दुग्ध से कर स्नान।
स्वर्ग का अनुभूति कराती इला,
स्वागत स्वागत शरद नायिका।।
प्रियंका पांडेय त्रिपाठी
प्रयागराज उत्तर प्रदेश