गीतिका

अरुणिता
द्वारा -
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 पढ़े जीवन सार कोई

ढो रहा है भार कोई

 

हाथ में ले, हाथ मेरा

ले गया मझधार कोई

 

छा गया मन पर अचानक

छेड़ वीणा - तार कोई

 

आपसे जुड़ कर अकिंचन

पा गया आधार कोई

 

पुष्प जैसे मुस्करा कर

दे गया उपहार कोई

 

कौन नेकी का सहज ही

मानता आभार कोई

 

चाहता बदलाव जग में

लग रहा अवतार कोई

 

-गौरीशंकर वैश्य विनम्र

117 आदिलनगर, विकासनगर

लखनऊ 226022

 

 

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