जो बीत गया है उसे याद ना कर...
आने वाले कल की चिंता ना कर...
ज़िंदगी का हर एक लम्हा अनमोल है
उसे यूं ही जाया ना कर...
संघर्ष ही है ज़िंदगी
इस बात को भूला ना कर...
डंटकर परिस्थिति का सामना कर...
हौसला बुलंद कर...
जिंदादिली से जीया कर...
एक ही मिली है ज़िंदगी
क्या पता कल हो ना हो!!!
ज़िंदगी को गले लगा कर चल...
कुछ औरों के लिए भी जीया कर...
ज़िंदगी एक जंग है
अगर जीतना है तो
औरों को देखा ना कर...
ख़ुद को तैयार कर...
लहरों से आगे निकल कर
अपनी नौका पार कर...
समीर ललितचंद्र उपाध्याय
मनहर पार्क:96/A
चोटीला:363520
जिला:सुरेंद्रनगर
गुजरात