मानव अपनी शक्ति को पहचान ले,
चांद पे पहुँच चुका है मानव मान ले l
वह क्या जो तेरी शक्ति से है बाहर,
अन्तर मन की वृत्तियों को जान ल।
२
सोच कि प्राणी जग में क्यों आता है ,
किन कर्मों के फल से दुःख पाता है ।
करता है जो कर्म धर् को ध्यान में रख,
वह मानव ही जीवन सफल बनाता है ।
३
मानव अपनी शक्ति को पहचान ले,
चाँद पे पहुँच गया है मानव मान ले । .
वह क्या जो तेरी शक्ति से बाहर।
अंतर्मन की वृतियां जो जान ले।
डॉ0 केवलकृष्ण पाठक
--संपादक,रवींद्र ज्योति मासिक,343 /19 ,
आनद जवास,गीता कालोनी,जींद laaun
126102 (हरियाणा)