मैं एक नारी हूँ

अरुणिता
द्वारा -
0

 

एहसास भी हैं,

जज़्बात भी हैं।

मेरे दिल में ख्वाहिशें

बेहिसाब भी हैं।

 

न खेलो मुझसे

मैं एक नारी हूँ।

इस संसार को मैं

जन्म देने वाली हूँ।

 

मुझसे ही तुम हो,

तुमसे नहीं हूँ मैं।

तेरे भोग-विलास का बस

आधार नहीं हूँ मैं।

 

न खेलो मुझसे

मैं एक नारी हूँ।

माँ की ममता भरी

एक शहद की प्याली हूँ।

 

तेरे वंश को आगे बढ़ाऊँ,

मात्र साधन नहीं हूँ मैं।

मेरा भी अस्तित्व है,

ये बात बता दूँ तुम्हें।

 

न खेलो मुझसे

मैं एक नारी हूँ।

चाहे जितनी हो कठिनाई

मैं कभी न हारी हूँ।

 

-दीक्षा शर्मा

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश

 

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn more
Ok, Go it!