अब हुई असहनीय बात
आत्याचारिओं को सबक सीखाना है
आवाज़ उठाना है सखी
आवाज़ उठाना है .
समाज में छुपे दरिंदे
आस्तीन में छुपे गुंडे
जिनका रवैया मनमाना है
आत्याचारिओं को सबक सीखाना है
आवाज़ उठाना है सखी
अब तो आवाज़ उठाना है .
हमे भी मिले सद्भवना
हर दुर्वव्हार हर दुर्भावना
आस पास से भागना है
आवाज़ उठाना है सखी
अब तो आवाज़ उठाना है .
राजीव कुमार
बोकारो स्टील सिटी
झारखण्ड