जीवन-पथ

अरुणिता
द्वारा -
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ये जीवन पुष्पित सेज नहीं, पथ में बिखरे विघ्नों के शूल हजार!

लक्ष्य उसे ही मिलता है जो हर चुनौती को करे हँसकर स्वीकार!!

 

तपस्वी सम जीवन हो जिनका, सुख वैभव के वो अभ्यस्त नहीं होते!

कठिन परिस्थितियों में भी रहे अडिग, हौसले उनके कभी पस्त नहीं होते!!

 

जब भी कश्ती चली है लहरों पर, तूफानों ने अक़्सर उसको घेरा है!

निविड़ तम से पहले कभी भी यहाँ पर, आता नहीं स्वर्णिम सवेरा है!!

 

ईश्वर की कृपा है अपरम्पार, दिया जो हमको मानव का आकार!

सत्मार्ग पर चलना ही धर्म अपना, निस्वार्थ सेवा ही जीवन का आधार!!

 

प्रखर दृष्टि हो जिनकी सदा लक्ष्य पर, कोशिशें उनकी व्यर्थ नहीं होती!

जीवन पथ पर बढ़ने वालों को डिगाने में, मृत्यु भी कभी समर्थ नहीं होती!!

 

अनिता सिंह

देवघर, झारखण्ड

 

  

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