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बादल वनवास को गये

 आंखों में बाढ़ आ गई,

 बादल वनवास को गए!

 

धरती की फटी हुई

 छाती को देखकर,

झुलसी अमराई के

 कन्धे पर टेक कर -

सिर, सारे सपने

 बेआस सो गए!

बादल वनवास को गये!!

 

 चेहरों से गायब

मुसकानों की चहल-पहल,

आतप का कोप-कहर,

 जीव-जन्तु गये दहल;

 

बेमौसम सारे

 उपवास को गये!

बादल वनवास को गये!!

 

 सूरज से आंख मिलायें

 डींग  हांकें,

नदी,झील,पोखर अब

रोज धूल फांकें ;

इक्यावन थे जो,

 उन्चास हो गये!

बादल वनवास को गये!

डॉ0 कामता नाथ सिंह

             रायबरेली