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अमर हमारी प्रीत

 बोले ब्रह्म गुरु इक दिन,

बस आज चुनो तुम प्रिय अपना,
हो स्वतंत्र है आज्ञा तुमको,
बुन लो जीवन का हर सपना।

सूरज ने धूप समेटी तो,
चंदा तारों के साथ मिला,
नदिया सागर से मिल बैठी,
बरखा संग बादल जाए मिला।

मेरे मन का विह्वल पंछी,
बस मुड़ा तुम्हारी ओर,
नयन बने नीला अंबर तेरे,
बांधी प्रीत की डोर।

मेरे जीवन के निकुंज में,
चंद्र किरण बन आए,
मेरी आंखों की पलकों पर,
मधुर स्वप्न बन छाए।

जीवन मंदिर में मैंने तेरे,
नाम का दिया जलाया,
प्राणों को जीवनसुधा मिली,
जो मैंने तुमको पाया।

क्षणिक जगत जीवन क्षणभंगुर,
मधुर मिलन विपरीत,
हार ह्रदय तुम भी कर दो न,
अमर हमारी प्रीत।
 

                                   डॉ0 मीनाक्षी गंगवार

प्रधानाचार्या
राजकीय बालिका हाई स्कूल सोहरामऊ

उन्नाव, उत्तर प्रदेश