बेटा,अब तुम्हें शादी कर लेनी चाहिए, कब तक अपनी बूढ़ी माँ को परेशान करता रहेगा?
क्या तुम मुझसे परेशान हो चुकी हो? मुझें लगता था, तुम मुझें दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार करती हो।हर माँ अपने बेटे को प्यार करती है।अब बहस करना बन्द कर दे।जब तेरा मन करे, शादी कर लेना। मरने के बाद ,मैं क्या देखने आऊँगी?
माँ, तुम कहाँ जा रही हो? क्या,मैं हमेशा के लिए तेरे साथ रहूंगी?गोपाल का मन गहरी उदासी से भर गया।माँ, क्या तुम मुझें अकेला छोड़ कर चली जाओगी? उसकी आँखें भर आई।माँ,सब देख रही थी,वह कुछ नहीं बोली,उसने बेटे को गले से लग लिया।अब रहने दे,माँ ज्यादा लाड-प्यार दिखाने की जरूरत नहीं है।
मुझें पता है, तेरा यह लाड-प्यार झूठा है।माँ ने उसके चेहरे पर हाथ फेरते हुए कहा, तू अपनी माँ की छोटी सी इच्छा पूरी नहीं कर सकता? मेरे जीते जी, तेरा घर बस जाएगा। मैं चैन से मर सकूंगी, वरना तड़पती रहूंगी। माँ,तुम ऐसी बात ना किया करो। मैं तुम्हारी खुशी के लिए शादी करूंगा।
क्यों, क्या तुम शादी नहीं करना चाहते?वह उसका चेहरा देखने लगी।ठीक है,हम दोनों की खुशी के लिए। गोपाल रात भर बिस्तर पर करवटें बदलता रहा।वह राधा से प्यार करता था।वह उसकी जिंदगी थीं। उसे यह भी नहीं पता था कि वह उससे प्यार करती है या नहीं। उसने कभी उसका चेहरा नहीं देखा था।खतों के माध्यम से उन दोनों की दोस्ती हुई थी।
उसने एक पत्रिका से उसका पता लिया था। वह एक सच्चा दोस्त चाहती थी। उसने उसे बताया था,कई लड़के उसके साथ दोस्ती के लिए तैयार थे।वह उसके सादे विचारों पर मर मिटी थीं।उसने दोस्ती के लिए उसे ही चुना था।वह उसे हर महीनें खत लिखती थीं। वह उसे कई खत लिखता था। उसने राधा को अपने बारे में सब कुछ बता दिया था। राधा ने उसे अपने बारे में थोड़ा बहुत ही बताया था।
उसने उसे बताया था। वह दिल्ली में रहती हैं। बी.एस.सी कर रही है। वह एक-दूसरे से अपनी पसंद-नापसंद शेयर करते थे।खतों का सिलसिला पिछले तीन वर्षों से लगातार चला था। उसने राधा को अपनी तस्वीर भेज दी थीं। उसकी तस्वीर देखकर वह मंत्र-मुग्ध हो गई थीं।वह हमेशा कहती थीं, तुम बहुत हैंडसम हो।
मैं बहुत काली-सांवली हूँ। मेरा कद भी बहुत छोटा है। हमारी जोड़ी बहुत भद्दी लगेगी। वह एक-दूसरे को बहुत
वह राधा के बिना अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकता था।वह उससे प्यार करता था। उसने अपने प्यार का इजहार कर दिया था।दो महीने से खत का जवाब नहीं आ रहा था। उसका मन बैठा जा रहा था।वह बहुत बेचैन हो रहा था। हर रोज पोस्ट ऑफिस के सामने से गुजरता।कभी-कभी पोस्टमैन से भी मिलता।चाचा कुछ जरूरी डाक आने वाली है,नौकरी के सिलसिले में। बेटा, जब भी डाक आएगी घर पहुंचा दूंगा। यह मेरी ड्यूटी है।
तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो।नहीं,चाचा ऐसी कोई बात नहीं है। मैं यहाँ से गुजर रहा था। सोचा चाचा से मिलता चलूं,अच्छा किया बेटा, जो मेरा हाल चाल पूछ लिया। कह कर चाचा हँस पड़े।
माँ, उसे लड़कियों की तस्वीर दिखना चाहती थीं। यह दिल्ली वाली लड़की बहुत सुंदर है। पंडित जी कह रहे हैं,बहुत पढ़ी- लिखी है। तुम्हारी जोड़ी भी खूब बनेगी। दिल्ली वाली का नाम सुनकर वह कुछ क्षणों के लिए सोच में डूब गया। उसने तस्वीर पर सरसरी नजर डाली।लड़की बहुत सुंदर थी। बेटा कितनी सुंदर है?
मैं, हाँ कह रही हूँ। वह कुछ नहीं बोला।वह चुपचाप घर से बाहर निकल गया। राधा को भूल पाना उसके लिए मुश्किल था।उसे राधा की ओर से कोई जवाब नहीं मिला रहा था।तीन महीनें गुजर गए। उसका मन बहुत उदास रहता था। माँ की तबीयत भी बार-बार खराब होने लगी थी। वह बेटे की शादी जल्दी करना चाहती थी। गोपाल बहुत निराश रहता था। उसने माँ की हालत को देखते हुए रिश्ते को मंजूरी दे दी। लड़की वालों को गोपाल पसंद आ गया था। वह भी जल्दी से जल्दी शादी करना चाहते थे। शादी की तारीख तय हो चुकी थी।
वह किसी और लड़की से प्यार नहीं कर सकेगा,यही सवाल बार-बार उसके मन में उठ रहा था। शादी में दो दिन बचे थे। सभी तैयारी हो गई थी। घर रिश्तेदारों से भरा पड़ा था। पोस्टमैन ने उसे खत दिया।वह अपने कमरे में जाकर खत खोलकर पढ़ने लगा। उसमें से एक गुलाब फूल नीचे गिर पड़ा।फूल सूख चुका था,शायद खत काफी समय से पोस्ट करने के लिए पड़ा था।खत में से खुशबू आ रही थी।
प्यारे गोपाल, खत पोस्ट करने में देर हुई, माफी चाहती हूँ।यह फूल हमारी कभी ना खत्म होने वाली दोस्ती के लिए है। मेरी शादी तय हो गई है। मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ। तुमसे जल्दी मिलूंगी। क्या तुम मुझें जीवन भर इसी तरह प्यार करते रहोगे? मुझें पता है, यह संभव नहीं है। हम हमेशा दोस्त रहेंगे।आज मैंने तुम्हारे सारे खत तुम्हें वापस कर दिए हैं। मैं नई शुरुआत करना चाहती हूँ। मैं नहीं चाहती कि इस रिश्ते के बारे में मेरे पति को पता चले। मुझें पता है तुम्हें मुझ पर बहुत गुस्सा
वह अपनी आँखों से बहतें ऑंसू नहीं रोक पाया। उसका सारा दर्द गर्म लावे की तरह बहता जा रहा था।वह सामान्य होने का प्रयास करता रहा।उसके चेहरे पर शादी की कोई खुशी नहीं थीं। वह राधा के पास जाना चाहता था। वह मजबूर था।माँ बहुत खुश थी। उनका चेहरा फूलों की खिला हुआ था। शादी हो गई। सभी उनकी जोड़ी को राधा- कृष्ण की जोड़ी कह रहे थे।
वह सुहाग सेज पर बैठी पत्नी के चाँद से सुंदर चेहरे को देख रहा था।क्या आप इस शादी से खुश नहीं हो। वह हैरान रह गया, इसे कैसे पता चला? क्या आप किसी और से शादी करना चाहते थे? अच्छा छोड़ो कोई फर्क नहीं पड़ता,पुरानी बातों से----! मैं भी किसी से बहुत प्यार करती हूँ। उसे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था।उसने एक तस्वीर निकाल कर उसके सामनें रख दी। मैं इसे बहुत प्यार करती हूँ। उसका सिर चकरा रहा था।
उसकी नज़र पत्नी के चेहरे पर ठहर गई। क्यों,क्या एक लड़की शादी से पहले प्यार नहीं कर सकती?गोपाल जी,तस्वीर देख लो, शायद आपको भी पसंद आ जाए। उसने गुस्से से तस्वीर देखी।वह हैरान रह गया।ये मेरी तस्वीर है। अच्छा---!देखो यह बहुत हंसमुख लड़के की तस्वीर है। तुम बिल्कुल खड़ूस हो।
तुम्हारे पास यह तस्वीर कहाँ से आई। राधा के पास गोपाल की तस्वीर नहीं होगी, फिर किसके पास होगी? पर तुम्हारा नाम तो---, छोड़ो ना--- गोपाल। मैं ही तुम्हारी राधा हूँ।
मेरा गुलाब का फूल कहाँ है? मेरे खत जला दिए गुस्से में--। तुमने बताया था, तुम सांवली मोटी ,छोटी हो। पहले थी, पर तुम्हारे प्यार का रंग ऐसा चढ़ा,मेरा तन-मन खिल गया।
तुम बार-बार मेरी तस्वीर मांगते थे, अब मैं पूरी जीती-जागती तुम्हारे सामने खड़ी हूँ। राधा तुम बहुत सुंदर हो।सच में, मैं बहुत देर से सोच रही थी।अभी तक तुमने मेरी तारीफ क्यों नहीं की?गुलाब का फूल पसंद आया। गोपाल ने उसे बाहों में भर लिया। बस अब कुछ मत बोलो,राधा तुम ही गुलाब का फूल हो---। दोनों की आँखें खुशी से छलक पड़ी----!
राकेश कुमार तगाला
1006/13 ए, महावीर कॉलोनी,
पानीपत-132103 (हरियाणा)