राष्ट्रधारा में बहती हिंदी, गौरवगान कराती हिंदी।
गजलों की मौसी हिंदी, उर्दू की सहयोगी हिंदी।
कविता में माता हिंदी, भाषा का मान है हिंदी।
मन मोहित करती हिंदी, सुरो की तान है हिंदी।
गीतों में भी गूंजे हिंदी, मधुर स्नेह देती हिंदी।
उर भाव जगाती हिंदी, मंद मंद मुस्काती हिंदी।
प्रेम भाव जगाती हिंदी,देश का मान बढ़ाती हिंदी।
दिलों को जोड़ती हिंदी, होठों की मुस्कान हिंदी।
मिलन की सार हिंदी, प्रकति भरा स्नेह हिंदी।
रिश्तों का आधार हिंदी, विश्वास का सार हिंदी।
भाईचारा बढ़ाती हिंदी, संस्कार सिखाती हिंदी।
धर्म का विश्वास है हिंदी,गंगा की धार है हिंदी।
देश का मान है हिंदी, जग की पहचान है हिंदी।
वीरों की शान है हिंदी, तिरंगा की जान है हिंदी।
राष्ट्र पहचान है हिंदी, हमारा अभिमान है हिंदी।
डॉ0 धर्मेन्द्र सिंह दीप
असिस्टेंट प्रोफेसर
हिंदी विभाग
देव संस्कृति विश्वविद्यालय
हरिद्वार, उत्तराखण्ड