शादी करना अगर है
नर्म बिछावन व गर्म बाहों में सोना
परंपरा निभाना, परिवार बसाना
माता-पिता के अरमानों को पूरा करना
तो ऐसी शादी से है परहेज़ मुझे।
शादी करना अगर है
नयनों में नयन मिलाकर
अपने जीवन साथी को चुनकर
सातों जनम साथ निभाने की कसम लेकर
अग्नि का सात फेरा लेना
और फिर अगले दिन, अगले साल से
बात-बात में झगड़ना
चेहरे की चमक या घर की रौनक खत्म होते ही
प्यार भी खत्म हो जाना
तो ऐसी शादी से है घृणा मुझे।
शादी करना अगर है
जिस्मानी व ज़हनी सुख पाने का
मज़हबी करार
दहेज का लेन-देन कर
देन-मोहर की रकम को तय कर
मज़हबी कुछ आयतों को पढ़कर
"हां मैंने कबूल किया" कहना
और फिर ताउम्र अपने हमराह से
अपनी ज़िद, अपनी फरमाइश को
कबूल करवाते रहना
उसके हक़-हकुक़ को छीनकर
उनका बेड़ा गर्क कर
प्यार से मीठी बोली बोलना
तो ऐसी शादी के हैं सख़्त ख़िलाफ़ हम।
शादी करना अगर है
घर-गृहस्थी बसाकर अपने नस्ल की
घर-गृहस्थी की चिंता करते रहना
नए रिश्ते-नातों को ताज़ा करते रहना
अपना मक़सद, अपने उसूलों के साथ
अनवरत समझौता करते रहना
'ज़ीरो एक्सप्रेस' में सफर करना
जिसका गंतव्य स्थान शुन्य है
और फिर शुन्य की परिक्रमा करते रहना
तो ऐसी शादी में नहीं है कोई दिलचस्पी मेरी।
गर शादी करना
है दिलों का मेल
विचारों की एकता
कलम की ताकत
भाषणों की शक्ति
मंजिलों को पाने में निस्वार्थ सहयोग व समर्पण
गीत-संगीत में संगत देना
रचना व सृजन में साथ देना
क्रोधित मन के अंगारों से
मुठ्ठी को हवा में लहराना
वसंत मौसम में भी
सुंदर वादियों में घुमते हुए
सुंदर दुनिया बनाने की कोशिश करते रहना
जात-धरम के दीवारों को गिराकर
भेदभाव रहित समाज के निर्माण में
सक्रिय भूमिका निभाना
सिसकते लोगों की अश्रुओं को पोंछ कर
चेहरे पे मुस्कुराहट लाना
मलिन बस्तियों में जाना
दबे-कुचले को सशक्त करना
दिग्भ्रमित लोगों को सही पथ दिखाना
शोषित जनों की बिखरी आवाज को
एक मंच में लाना
बंद मुट्ठियों में उर्जा का संचार करना
तो ऐसी शादी दिल से है कबूल मुझे।
मंज़ूर है मुझे ऐसी शादी
चाहे तुम रहो जिस भी जात-धर्म से
चाहे करो शादी मंदिर या मस्जिद में
या फिर कोर्ट-कचहरी में
चाहे मानते रहो अपना धर्म जीवनभर
कोई हर्ज नहीं है मुझे इससे
कबूल है मुझे ऐसा वैवाहिक जीवन।
मेरे इन ख्यालातों से
समाज बदलाव के जज़्बातों से
कलम की धार से, शब्दों की वार से,
मेहनतकशों की दुनिया बेहतर बनाने
खुद रहते हो मगन
करते रहते हो संघर्ष
गैर बराबरी के ख़िलाफ़
तो मुझे तुमसे बेपनाह मुहब्बत है।
हम करते रहेंगे इश्क इक दूजे से
चाहे बंध न सकें वैवाहिक बंधनों से
पर जारी रहेगा हमारा मन का मिलन
विचारों का सफर, संग्रामी जीवन।
जिंदा रहेगा हमारा इश्क
मेहनतकशों के बीच
नाइंसाफी के ख़िलाफ़
उठते तूफानों के बीच
शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार की मांग लिए
समानता, भाईचारा का संदेश लिए
जारी आंदोलनों के बीच।
मिटा नहीं सकता कोई
हमारे पदचिन्हों को
जिंदाबाद रहेगा हमारा
*इश्क और इंक़लाब*।
एम.जेड.एफ कबीर