बिरजू और फुगनी दोनों दिहाड़ी कामगार हैं। शहर के बाहर की तरफ एक छोटी सी बस्ती में कच्चे घर (खोलीनुमा) में अपने दोनों बच्चों ननकू (6 वर्ष) व राम्या ( 3 वर्ष) के साथ रहते हैं। दोनों प्रतिदिन दिहाड़ी कर कमाते हैं और अपने बच्चों को जैसे-तैसे पाल रहे हैं। आय ज्यादा ना होने की वजह से दोनों बच्चे स्कूल नहीं जाते।
बिरजू व फुगनी दोनों अल सुबह ही काम पर निकल जाते हैं और सांयकाल के बाद ही लौटते हैं। दिन भर दोनों बच्चे घर में अकेले रहते हैं। फुगनी सुबह ही खाने के लिए कुछ बना कर रख जाती है। ननकू बड़ा ही समझदार है। वो स्वयं के साथ ही अपनी छोटी सी बहन का भी ध्यान रख लेता है। खुद के साथ उसको भी खाना खिला देता है और पूरा दिन उसको अच्छे से सम्भाल भी लेता है।
बारिश का मौसम शुरू हो गया है। उनके घर की छत में जगह-जगह छेद होने के साथ ही वह बहुत जीर्ण अवस्था में हो रही है। फुगनी ने बिरजू को बोला कि 'इस बार तो कैसे भी जुगाड़ करके छत ठीक करवा लेते हैं। तेज बारिश में पूरी छत टपकने से घर व सामान सब गीला हो जाता है।'
आज सुबह बिरजू व फुगनी के काम पर जाने के बाद दिन में आँधी - तूफान के साथ ही भारी वर्षा शुरू हो गयी जो शाम तक होती रही। इनका घर इस आँधी - तूफान को नहीं झेल सका और छत नीचे गिर गयी। पूरा घर टूट गया। सब सामान व खाना सब बारिश में गीला हो कर खराब हो गया।
ननकू व राम्या तो खाना भी नहीं खा सके थे कि ऐसा हो गया। उधर बिरजू व फुगनी को घर व अपने दोनों बच्चों की चिंता सता रही थी।
वो तो ननकू ने बड़ी समझदारी दिखाई। जैसे ही आँधी - तूफान के साथ तेज बारिश शुरू हुई। वो अपनी गोदी में राम्या को उठा कर पास के मन्दिर में भाग आया। उसके निकलते ही छत गिर गयी।
दोनों का भूख से हाल बेहाल था और राम्या डर व भूख की वजह से लगातार रोये जा रही थी।
ननकू ने इधर-उधर देखा और मंदिर के पुजारी जी से भगवान को चढ़े कुछ फल लेकर राम्या को खिला कर अपनी गोदी में प्यार से दुबका कर बैठ गया। थोड़ी देर में राम्या सो गई और वो वैसे ही बैठा रहा, अपने माँ-पिता जी के इंतज़ार में।
बारिश के थोड़ा कम होने पर चिंतित बिरजू व फुगनी वापस लौटे और टूटा घर व बच्चों को ना पा कर उनके होश उड़ गए। आस-पास ढूँढने पर देखा कि ननकू अपनी गोद में राम्या को दुबकाये मन्दिर के प्राँगण में एक कोने में ऐसे बैठा हुआ है। जैसे कह रहा हो कि 'मेरी प्यारी बहना.. तू ना तो डर और ना ही रो। मैं हूँ ना। तुझे कुछ ना
यह दृश्य देखते ही बिरजू व फुगनी की आँखों में खुशी के आँसू आ गए। उन्होंने दौड़ कर अपने बच्चों को गले लगा लिया। आज उनको ननकू राम्या के लिए एक बड़ा भाई होने के साथ ही पिता समान लग रहा था। उनको इस भ्रातत्व प्रेम पर बड़ा ही गर्व हो रहा था।
सभी ननकू की खूब प्रशंसा कर रहे थे। ननकू आज पूरी बस्ती में भ्रातृ प्रेम का उदाहरण बन हीरो बन गया था।
"ऋतु अवस्थी त्रिपाठी"
इन्दौर, मध्य प्रदेश