जीवन एक खिलौना है,
सुख-दुःख का सारा रोना है।
तू किस फिक्र में बैठा?
होगा, जो जीवन में होना है।
कल जीवन के बाग़ों में सावन आयेगा, कलियाँ महकेगी,
तपती दोपहरी बीतेगी, जीवन में सुख की बरखा बरसेगी।
दुःख की रतियाँ गुजरेंगी एक दिन, सुख का दिन होना है,
जीवन एक खिलौना है,
सुख-दुःख का सारा रोना है।
दिन भी होगा, रात भी होगी, फिर सूरज का उगना है,
आनन-फानन में सारा जीवन, सारे जीवन का भगना है।
जीवन के कल की चिंता में जीवन का आज भी खोना है,
जीवन एक खिलौना है,
सुख-दुःख का सारा रोना है।
जीवन के वन-उपवन में ऋतु वसंत का आना-जाना होगा,
पत्ते पीले पड़ के झड़ जायेंगे, जब पतझड़ का आना होगा।
जीवन एक खिलौना है,
सुख-दुःख का सारा रोना है।
तू किस फिक्र में बैठा?
होगा, जो जीवन में होना है।
अनिल कुमार केसरी,
राजस्थान