यादों में बीत गया पूरा साल तो
रुप बदल क्यूँ सामने आ गया
कल को काल में समाहित कर
उद्द्भव का नया आज आ गया
सूरज क्यूँ अपनी चांद छिपाकर
लालिमा ले देखो साथ आ गया
आने को तब सब आने लगे है
वो साल मुझे फिर याद आ गया ....
नव वर्ष में हर्ष से तुमनें हमको
चुपके से कह के दिए बधाई
बधाई हम उसको समझते रहे
पर असल मे थी वो नेह विदाई
विदाई भी हमको तो ऎसा मिला
के दिल मेल का काल आ गया
काल के गाल में जब साल गया
वो साल मुझे फिर याद आ गया....
कुछ दिनो तक कुछ न बातें हुई
काम-काम व्यस्त बहाना बनाये
बहाना अक्सर रह रह के बनाते
व्यस्त हूं कह मस्त समय गिनाये
समय समय कहते देखो कैसे
असमय बिछड़ने का आ गया
आज तेरे नाम से ख्याल आ गया
वो साल मुझे फिर याद आ गया....
सोमेश देवांगन
गोपीबंद पारा पंडरिया
कबीरधाम, छतीसगढ़