समय-पथ

अरुणिता
द्वारा -
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समय होता अत्यंत बलवान,देता घुटने टेक।

कभी करता पथ दुर्गम,बिछाता शूलों भरी सेज ।।

 

 होता जब निराश, नही करता कोई काज।

कभी लगता सब खत्म, नही अब कुछ शेष।।

 

कर पथ दुर्गम, देता बिछा चाहूं ओर शूल।

भाव उठते अंतर्मन में, कैसी हुई मुझसे भूल।।

 

कभी कभी यातनाएं भी ,होकर हितकारी।

सत्यता का निभाकर साथ, हृदय हो दुखियार।।

 

बाधाएं रिपु होकर मित्र, जीवन का बताती सार।

दृढ़ता से निपटा जो,वही सच्चा मनुज अवतार।।

 

कभी अंतर्मन में , कहता रख सबल मन अमल।

धीरज और आत्मबल से, बना विषमताओं को सरल।।

 

आशा मन की रख जीवंत,हर काज होंगें सफल।

जीवन के प्रश्न दुरूह, ओजस्वी राग से होते हल ।।

 

अंजनी अग्रवाल ओजस्वी

कानपुर नगर उत्तर प्रदेश

 

 

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