नया वर्ष 2023 दहलीज पर है। एक ओर नवयुवक और नवयुवतियाँ नए साल का जश्न मनाने को तैयार हैं, वही दूसरी ओर कोरोना अपने नए वायरस के साथ चीन देश को अपनी गिरफ्त में ले चुका है।
वस्तुतः नया वर्ष दहलीज पर खड़ा होकर यह संदेश देता है कि आओ भाइयों-बहनों। आपस की पुरानी कड़वी बातें भूलकर परस्पर भाईचारे, प्रेम-स्नेह तथा ईमानदारी का व्यवहार रखते हैं। परन्तु क्या वास्तव में, लोग इसका अनुसरण करते हैं? नहीं- कभी नहीं आज का नवयुवक बहुत ज्यादा महत्त्वाकांक्षी है। वह घण्टों के काम को चन्द्र मिनटों में कर लेने की इच्छा रखता है। इसी इच्छा से विज्ञान के नए-नए प्रयोगों का जन्म होता है। घर से सड़क तक चारों ओर विज्ञान का प्रभाव देखा जा सकता इसी विज्ञान की देन है- कोरोना वायरस | नवम्बर 2019 से इस बीमारी ने करोड़ों को मौत की चपेट में ले लिया है। इस बीमारी ने लोगों को इस सत्य से अवगत कराया है कि विज्ञान की मृत्यु पर जीत असम्भव है। जिन्दगी का कोई भरोसा नहीं है-किसकी कितनी है? तो फिर किसके लिए व्यर्थ की भागदौड़ ? जिन्दगी जीने के लिए है, डरने के लिए नहीं 'पैसा भी उतना ही जोड़ना चाहिए, जितने की जरूरत हो।
परिवार के पालन-पोषण का अधिकार मनुष्य को है परन्तु किसी का दिल दुःखाकर नहीं। जीओ, मस्त होकर। कोरोना से लड़ाई हर नागरिक कर रहा है। करना भी चाहिए 'हारकर और डरकर काम चलेगा ही नहीं। ग्लोबल वार्मिंग भी मनुष्य की ही देन है, प्रकृति के साथ खिलवाड़ करके। मगर अब भी मनुष्य सचेत न हुआ तो उसके लिए मृत्यु सदैव स्वागत किए खड़ी है। खान-पान में सुधार, व्यायाम,स्वास्थ्य की देखभाल परम आवश्यक है। पेड़-पौधों को खाद-पानी देकर उन्हें जीवन प्रदान करना चाहिए न कि उन्हें काटकर वृक्ष बिना किसी स्वार्थ के
अब समय आ गया है-मनुष्य को खुद पर नियंत्रण करने की। तभी कोरोना जैसी महामारी पर विजय हासिल की जा सकती है।
नया वर्ष अपनी बाहें फैलाए खड़ा है-"एक नए परिवर्तन की चाह में। वैमनस्य की भावना और अन्धा धुंध प्रतिस्पर्धा की दौड़ को त्यागकर मनुष्य को चाहिए कि वह मनुष्यता की मिसाल खड़ी करें।”
रुचि शर्मा
कम्पोजिट वि॰ डुन्डुखेड़ा
काँधला, शामली उत्तर प्रदेश