दे दो रँग मुझे,
बुन लूँ सपने रँग-बिरंगे
सजा लूँ अपना जीवन ,
रँग लूँ अपनी दुनिया
रँग डालूं अपना तन-मन
दे दो रँग मुझे
खींच लूँ आशाओं की
कोई रँग-बिरँगी तस्वीर
मिले जो रँग तुम्हारे
रँग जाये मेरी तकदीर
दे दो रँग मुझे
रंगीला हो जाये
मेरा भी प्रभात
रंगीन हों मेरे दिन
और रँगमय मेरी रात.......
-जय कुमार