सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड विशेषकर हमारी पृथ्वी एक अनोखा ग्रह है। विविधताओं से परिपूर्ण विश्व के विभिन्न राष्ट्रों में ऐतिहासिक सांस्कृतिक महत्व के स्थलों को भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित कर इन्हें धरोहर की सूची में रखा जाता हैं। अन्तर्राष्ट्रीय संस्था यूनेस्को द्वारा ऐसे ही प्राकृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक स्थलों को चिन्हित कर हेरिटेज साईट की लिस्ट में शामिल किया जाता हैं।हर वर्ष 18 अप्रैल के दिन विश्व विरासत दिवस अथवा विश्व धरोहर दिवस दुनिया भर में मनाया जाता हैं।इस दिन को मनाने का उद्देश्य यह है कि लोगों को इन धरोहरों के संरक्षण तथा महत्व से अवगत कराया जाए तथा दुनियां के विभिन्न देशों में स्थित ऐसे स्थलों की जानकारी देकर उन्हें विरासत के प्रति आकर्षित किया जा सके।
किसी भी देश के लिए उसकी धरोहर उसकी अमूल्य संस्कृति होती है। किसी भी देश की पहचान, वहां की सभ्यता की जानकारी इन धरोहरों से ही पता चलती है। आज देश का गौरव बढ़ाने का काम यह धरोहरें ही कर रही हैं। जिन्हें देखने के लिए देश-विदेश से लाखों पर्यटक प्रत्येक वर्ष एक देश से दूसरे देश, एक राज्य से दूसरे राज्य जाते हैं। यदि यह धरोहर यह विरासत ना हो तो हम कभी किसी का इतिहास नहीं जान पाएगें। अतीत हर व्यक्ति, हर देश के लिए बहुत जरुरी है। इतिहास में कब, क्या, कहां घटित हुआ यह जानना अति आश्यक है। इन्हीं घटनाओं, सभ्यताओं और इतिहास की संस्कृति को जानने अति आवश्यक है।
18 अप्रैल 1982 को ट्यूनीशिया में विश्व में पहली बार विश्व विरासत दिवस मनाया गया था। इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मोनुमेंट्स एंड साइट्स द्वारा इसका आयोजन किया गया था।इसके बाद वर्ष 1983 में यूनेस्को द्वारा इसे प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को मनाने का निर्णय किया गया हैं।विश्व के 193 सदस्य देशों की संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ की यूनेस्को द्वारा एक अंतर्राष्ट्रीय एक संधि प्रस्ताव रखा गया, विश्व के समस्त प्राकृतिक और सामाजिक धरोहरों के संरक्षण के लिए कटिबद्ध हैं. इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले 21 सदस्य देश हैं. विश्व धरोहर की इस संधि का प्रथम प्रस्ताव वर्ष 1972 में रखा गया था।पूरी दुनिया में लगभग 1154 स्थलों को विश्व विरासत स्थल घोषित किया जा चुका है। जिसमें 897सांस्कृतिक, 218 प्राकृतिक,39मिश्रित और 138 अन्य स्थल है।
प्रत्येक विरासत स्थल उस देश विशेष की संपत्ति होती है, जिस देश में वह स्थल स्थित हो; परंतु अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का हित भी इसी में होता है कि वे आनेवाली पीढियों के लिए और मानवता के हित के लिए इनका
संरक्षण करें। बल्कि पूरे विश्व समुदाय को इसके संरक्षण की जिम्मेवारी होती है। यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थलों को तीन सूचियों में शामिल किया है जो इस प्रकार है।
१-प्राकृतिक धरोहर स्थल
२- सांस्कृतिक धरोहर स्थल
३-मिश्रित स्थल
विश्व धरोहरों की जरुरतों और उन्हें सरंक्षण देने की आवश्यकता को समझते हुए आज उनकी देखभाल अच्छे से की जा रही है। हम अपनी संस्कृति तो खो ना दें इस उद्देश्य से पुरानी हो चुकी जर्जर इमारतों की मरम्मत की जाने लगी है, उजाड़ भवनों और महलों को पर्यटन स्थल बनाकर उनकी चमक को बिखेरा गया है। पुस्तकों एवं स्मृति चिह्नों को संग्रहालय में जगह दी गई है,। लेकिन फिर भी कुछ लोग ऐसे हैं जो अपनी इन धरोहरों की कद्र नहीं कर रहे हैं वो इन पर संदेश लिखकर इनकी सुंदरता को खराब कर रहें है। पान, गुटखा इत्यादि खाकर इन पर थूककर गलत मानसिकता का परिचय देते हुए निशान छोड़ रहें है। यह धरोहरें बहुत अमूल्य है । प्रत्येक नागरिक को इनका सम्मान करना चाहिए।अपने के आसपास के किसी पुरातत्व स्थल या भवन पर जाएं।अपने बच्चों को इतिहास के बारे में बताएं और किसी स्थल, किले, मकबरे या जगह पर ले जाकर वहां के बारे में रोचक तथ्य बताएं जिससे आने वाली पीढ़ी भी हमारी संस्कृति और इतिहास से परिचित हो सके.सरकार को इस दिन किसी विशेष स्थान या व्यक्तित्व का जो भी ऐतिहासिक विरासत के तौर पर देखा जा सके उसके संदर्भ में डाक टिकट जारी करने चाहिए.पुरातत्व स्थलों पर गंदगी फैलाने वालों में जागरुकता फैलानी चाहिए ताकि वह ऐसा ना करें।
अलका शर्मा
शामली, उत्तर प्रदेश