रंगों की स्मृति
दो आधारों के बीच
अनुगुंज में गूंज बिखेर के
भरेगा दृश्यों को ठीक से
दृश्यों के क्षितिज
दो प्रतिमानों के बीच
चित्रों में रंग भरकर
गूंजेगा जीवन में ठीक से
स्मृति के क्षितिज
या क्षितिज में स्मृति
रंगों व दृश्यों के बीच
चूल्हे में आंच बनकर
मिटाएगा भूख को ठीक से
इस अदृश्य लैंडस्केप में
कहा नहीं जा सकता
कहां से उतरेगें
रंगों के सपने
और दृश्य के भीतर
कौन सा क्षितिज
नापेगा अंतरिक्ष को ठीक से
पाटना होगा दूरियों को
चूल्हे की हद में
तभी हम बना सकेगें
कोई कोमल सा दृश्य
मुन्नी की आंखों में बहुत ठीक से.
मोतीलाल दास
डोंगाकाटा, नन्दपुर
मनोहरपुर - 833104, झारखण्ड