अब मनोहर जी ने रोने धोने की बजाय पत्नी को गर्ल फ्रेंड बना
लिया था। फेस बुक पर आईडी बना लिया था और दोनो एक दूसरे से चैट करते थे। और संडे
को टाइम फिक्स कर मिलने निकल जाते थे। अब उनकी 60 साल
की पत्नी उनकी प्रेमिका बन गई थी। दोनो सन्डे का बेसब्री से इंतज़ार करते थे।
जब बेटी और बहु दोनो घर पर होते थे। और मनोहर जी और उनकी पत्नी कभी
कभी किसी पार्क में कभी मंदिर आदि में जाते थे मिलते थे। एक दूसरे का सुख दुःख
साझा करते थे। कभी फ्रूट चाट तो कभी कभी लस्सी पीते थे। एक दूसरे की बीपी शुगर एक
रिपोर्ट भी पढ़ते थे। शाम को दोनो अपने अपने घर की तरफ चल देते थे। ये मिलन उन्हे
ऊर्जा से भर देता था। हालाकि उनके हम उम्र दुखी आत्मा संगी साथी उन्हे सुखी देख
बहुत चिड़ते थे। कुछ एक ने कहा भी यार मनोहर ये क्या अच्छा लगता है। इस उम्र में
अलग अलग रहना और पार्क में मिलना। तुम्हारे बेटा बेटी दोनों स्वार्थी हैं। मनोहर
जी का जवाब उन्हे निरुत्तर कर देता ।
वो बोलते- देखो अमूमन तुम सब अपनी पत्नी के साथ रहते हुए भी
एक दूसरे के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड नही कर पाते। हम दोनो एक दूसरे से मिलने के
लिए हफ्ते भर की प्रतीक्षा में उत्साह से भर जाते हैं। और रोमांच जो जीवन से गायब
हो गया था। फिर जीवन में आ गया है। साथ ही अपनी 35 साल पुरानी बीबी के बदले मुझे नई
गर्लफ्रेंड मिल गई है। ये तो फायदे का सौदा है। वह
हंसते हुए बोलते ।
फिर अचानक से गंभीर मुद्रा में आ कर बोले यार जिंदगी में
परेशानी का आना तो पार्ट आफ लाइफ है लेकिन उसमे भी हंसते हंसते जी जाना आर्ट आफ
लाइफ है। अब बच्चों को कोसने या किस्मत को रोने से बेहतर मुझे यही विकल्प लगा।
सारे मित्र मनोहर जी की बात से सहमत हो गए और वाह वाह करने लगे।
प्रज्ञा पाण्डेय मनु
वापी गुजरात