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जीवन एक रंगीन सफर है



जीवन एक रंगीन सफर है
कहीं धूप तो कहीं छाँव भरी डगर है।


कभी बिखेरे रंग खुशी के
कभी बदरंग सी दुख की लहर है।
कहीं सतरंगी सपनों की दुनिया
तो कहीं अतरंगी यथार्थ का कहर है।


कभी बचपन की लालिमा है फैली
तो कभी वृद्वावस्था की सूनी सहर है।

कोई दाल-रोटी खाकर भी मगन है
तो कोई छप्पन भोग में भी निकालता कसर है।


कहीं सुर्ख है बलिदान और शौर्य का रंग
तो कहीं आतंकवाद की कालिमा सिर पर है।
कहीं सफलता की खुशी की खनक है
तो कहीं असफलता का रंज हर पहर है।


कहीं नन्ही सी आशा की सुनहरी किरण है
तो कहीं निराशा की धुंध का मंजर है।

हर पल बदलते जीवन के रंग हैं
कुछ भी नहीं शाश्वत सबकुछ तो नश्वर है।

फिर किस बात का अभिमान है बंदे!
प्रेम और मुस्कान बिखेरो बस यही अजर-अमर है।
जिसकी रूपहली आभा देती है संबल
परमार्थ और त्याग ही है बस कारगर।


जीवन एक रंगीन सफर है
कहीं धूप तो कहीं छाँव भरी डगर है।



गायत्री शुक्ला
रायपुर
छत्तीसगढ़