हिन्दू कालेज में वनस्पति को हिन्दी में जानो कार्यक्रम “अपनी भाषा में देशज प्रज्ञा बोलती है”: प्रो कौल दिल्ली। अपनी भाषा में अपनी प्रकृति और पर्यावरण …
Read more »तुम बिन जग सूना-सूना है" बुजुर्ग दीनानाथ आँखों से बार बार बहते आँसुओं को चुपके से गमछे से पोछ लेते और ऐसा करते हुए वह दाएं बाएं धीरे से देख भी…
Read more »एक पाँच सात साल की लड़की बड़े ही लालसा भरे निगाह से सामने के घर में पड़े रंगों की शीशी को निहार रही थी ।उसे लग रहा था कि काश वो सारी रंगों वाली शीशिया…
Read more »पूर्वी उत्तरप्रदेश में एक जिला है जौनपुर । यहां जमींदारों के पास बहुत जमीन जायदाद था । इनके पास कई कई गांवों तक फैली हुई हजारों एकड़ खेत तो थे ह…
Read more »पाँच बजते-बजते दिल्ली की भीड़-भाड़ से निकल आए तो लगा रात के दस बजे तक देहरादून पहुँच ही जाएँगे। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे से होते हुए डेढ़ घंटे…
Read more »"ओह वसुधा,क्या सारे दिन अम्मा से चिपकी रहती हो।कभी कोई काम मेरा भी कर दिया करो-"झल्ला उठे वर्द्धमान और उनके स्वर में स्वर मिलाया मांजी ने। …
Read more »"ठहरो”, इस कड़कती हुई आवाज को सुनते ही हेमंत के मन की उड़ान और मोटरसाइकिल की गति दोनो को ब्रेक लग गये,,। बाँध किनारे पीपल के …
Read more »"भारतीय जीवन शैली प्राकृतिक और असली जीवन शैली की दृष्टि देती है।हम खुद को अप्राकृतिक मास्क से ढककर रखते हैं। भारत के चेहरे पर मौजूद हल्के निशा…
Read more »“वैश्विक परिदृश्य में राष्ट्रभाषा हिंदी : मातृभाषा के ममत्व, राजभाषा के एकत्व और राष्ट्रभाषा के समत्व द्वारा भारतीय सभ्यता, संस्कृति एवं राष्ट्र…
Read more »फुल टाइम जॉब फिर भी बाहर जाकर काम करने वाली मां! आपके घर में या आसपास अगर कोई छोटा बच्चा है तो जरा गौर करिेएगा कि उसकी मां दिन भर में कितनी देर आ…
Read more »1965 के युद्ध के दौरान 8 गढ़वाल राइफल्स, 1 बख्तरबंद डिवीजन की 43 लॉरीड ब्रिगेड का हिस्सा थी और उसका नेतृत्व कर रहे थे लेफ्टिनेंट कर्नल जे ई झिरा…
Read more »हमने माना कि है मुख़्तसर ज़िंदगी, नफ़रतों में न हो पर बसर ज़िन्दगी। क़द्र इसकी करो ये है आब-ए-हयात, बन न जाए कहीं ये ज़हर ज़िंदगी। ग़र हैं कांटे तो गुल …
Read more »लोग हैं बेशक गिराते जलवे ना इतना जल्दी उल्फ़त लगा. छली दुनिया छलती रहेगी एक ही चूक बस देगी दग़ा. जिसके दर पर प्रीत लगी उसी के आंगन गया…
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