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नारी

नारी एक सृष्टि की सृजना,

नारी एक, रूप अनेक में ,


नारी ही धात्री ,नारी ही पालक,

नारी ही लक्ष्मी,नारी ही काली,


नारी ही गंगा, नारी ही गायत्री,

नारी ही सीता,नारी ही सरस्वती,


नारी ही गीता,नारी ही भगवती,

नारी ही दुर्गा, नारी ही सावित्री,


नारी तूने पाये अनेक स्वरूप,

नारी तू ही हो नर की शक्ति,


नारी तू ममतामयी, क्षमादायिनी,

नारी तू सुखदायिनी, कल्याणकारी,


नारी तू ही माता ,बहना, भार्या हो,

नारी तू ही पालनी, साध्वी,सेविका हो,


नारी तू जल,थल,वायु में अग्रणी,

नारी तू घर-बाहर सब क्षेत्र में छायी,


नारी तू अखंड ज्योति दीपशिखा की,

नारी तूने चहुंदिश परचम फहराया।


डॉ० मोहन लाल अरोड़ा

ऐलनाबाद सिरसा हरियाणा