फुल टाइम जॉब फिर भी बाहर जाकर काम करने वाली मां!
आपके घर में या आसपास अगर कोई छोटा बच्चा है तो जरा गौर करिेएगा कि उसकी मां
दिन भर में कितनी देर आराम करती है या फिर अपने लिए कितना समय निकाल पाती है।
बच्चे की नैपकिन बदलना, अस्त-व्यस्त दिनचर्या होना, अपनी सेहत का भी ध्यान
रखना, मां होना आसान काम नहीं है। आम जॉब के मुकाबले ढाई
गुना ज्यादा काम करती है मां!
बच्चे को
पालना किसी फुल टाइम जॉब से कम नहीं है। एक रिसर्च में तो यहां तक सामने आया है कि
मां का काम किसी नौकरी में करने वाले काम के मुकाबले ढाई गुना ज्यादा होता है। इस
रिसर्च के अनुसार एक मां बच्चे की देखभाल में 98 घंटे प्रति सप्ताह काम करती है।
इस अमेरिकी सर्वे में 5 से 12 साल की उम्र के बच्चे की 2 हजार मांओं को शामिल किया गया और इसके परिणाम हैरान करने वाले रहे। एक आम
दिन में मां औसतन सुबह 6:23 बजे से रात 8:31 बजे तक बच्चे के लिए काम करती रहती है। इसे तोड़ा जाए तो यह 7 दिन में 14 घंटे की शिफ्ट के बराबर का काम हुआ। यह
किसी भी सामान्य जॉब के मुकाबले कहीं ज्यादा है।
अमेरिका के एक जूस ब्रैंड द्वारा कराए गए इस रिसर्च के मुताबिक एक मां एक दिन
में औसतन 1 घंटा 7 मिनट का समय ही अपने लिए निकाल पाती है।
स्टडी में यह भी पता चला कि 40% मांएं अपनी जिंदगी कभी न
खत्म होने वाले टु-डू लिस्ट के दबाव में गुजारती हैं।
यह कोई पहला रिसर्च नहीं है जिसमें मां की जिंदगी की कठिनाइयां सामने आई हों।
इससे पहले 2013 में हुए एक सर्वे में सामने आया था कि एक मां के टु-डू लिस्ट में लगभग 26
टास्क होते हैं। इनमें स्नैक्स की व्यवस्था करना, नाश्ता बनाना और जरूरी अपॉइंटमेंट्स याद रखना महत्वपूर्ण है। जाहिर है,
मां का काम सबसे बड़ा तो है ही, सबसे मुश्किल
भी है।
और अगर वह मां काम करने वाली हो ,कहीं और नौकरी करती हो ,तो उसका कार्य अब और कई गुना बढ़ जाता है । एक तरफ जहां महिलाओं के समान
अधिकार की बात की जाती है वहीं दूसरी तरफ काम करने वाली महिलाएं खास तौर पर मां जो
घर से बाहर जीवन यापन करने के लिए बाहर जाती हैं उसके दायित्व एवं को आसान किया जा
सकता है अगर बाहर उसे बेहतर वातावरण उपलब्ध कराया जाए। उसकी वर्कप्लेस का परिवेश
अनुकूल बनाया जाए तो उस मां के साथ न्याय होगा जो इस सृष्टि की रचयिता है।
पूनम
तोमर
शामली, उत्तर प्रदेश