पति की खातिर जल्दी उठकर,
सुबह सवेरे चाय बनाती।
लगी रहे घर के कामों में,
घर की हर उलझन सुलझाती।
चौका कपड़े झाड़ू पोंछा,
काम सभी घर के निपटाती।
साथ नहीं कोई देता हो,
तब भी बीवी साथ निभाती।
पति गर जाए गलत दिशा में,
सही राह उसको दिखलाती।
अगर जरूरी होता हो तो,
डटकर उसको डांट लगाती।
अगर डांटती है बीवी तो,
समझो अपना हक़ जतलाती।
घर का ख़याल रखे वो हरदम,
वो ही घर को स्वर्ग बनाती।
जितनी ऊँची होती यारों,
बीवी की फटकार है।
समझो उस बीवी को पति से,
उतना ज्यादा प्यार है।
विनय बंसल
आगरा, उत्तर प्रदेश