अब देश के विभिन्न राज्यों के ICSE के छात्र पढ़ सकेंगे डॉ०कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव ' की रचनाएं कालपी (जालौन, उ. प्र.) शिक्षा मंत्रालय, भारत सर…
Read more »हज़ारों वर्षों की नारकीय यातनाएं भोगने के बाद भीष्म और द्रोणाचार्य को मुक्ति मिली। दोनों कराहते हुए नर्क के दरवाज़े से बाहर आये ही थे कि सामने कृष्ण को…
Read more »मेघना अपनी मां के साथ शाम को पार्क में टहलने जाया करती थी। साहिल भी शाम को कुत्तों को ब्रेड खिलाने पार्क में आ जाया करता था।कुछ ही दिनों में उनमें आप…
Read more »"शीला मुझे तुम्हारी बहुत फिक्र हो रही है, और होगी भी क्यों नहीं; उनतीस बरस की जो हो गई हो। शादी की उम्र हो गई है तुम्हारी। पता नहीं तु…
Read more »सुनिए..! मुझे कुछ पैसे दीजिए, आज मैं सलोनी के लिए घुंघरू वाली पायल लेकर आऊँगी अगले सप्ताह उसका दूसरा जन्मदिन है। बिल्कुल! मैं तो कहता हूँ तुम अपने ल…
Read more »वर्तमान वर्चुअल जगत के सन्दर्भ में शिक्षण संस्थानो में साइबर बुलीइंग व स्लेन्डर जैसी समस्याओं व उनके निराकरण का अध्ययन आज के डिजीटल काल में विद्यार्…
Read more »वर्तमान समय में देश की शिक्षा प्रणाली में व्यापक परिवर्तन होते दिख रहे हैं | सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि समूचे राष्ट्र को समग्र रूप से देखने का प…
Read more »मत्स्य पुराण में प्रकृति की महत्ता बताते हुए कहा गया है " सौ पुत्र एक वृक्ष के समान है"।अथर्ववेद में भी प्रकृति संरक्षण का सुंदर वर्णन कि…
Read more »अतीत वर्तमान से हमेशा अच्छा लगने वाला हुआ करता है, अक्सर लोग ऐसा कहा करते हैं। यही कारण है कि अपने वर्तमान में कितना भी सुखी एवं समृद्ध होने पर भी व्…
Read more »हिंदी साहित्य में आज यह स्थिति है कि स्वतः कोई पाठक आपकी रचनाएं नहीं पढ़ता। उन्हें पढ़वाने के लिए आपको स्वयं प्रयास करना पड़ता है। लिखने से लेकर छपवा…
Read more »“ जीवन एक सतत् चलने वाली अनुभूतिपरक प्रक्रिया है जो विभिन्न घटनाक्रमों में नवीनतम सीख को स्वीकार करने के लिए प्रेरित करती है और शिक्ष…
Read more »लांसनायक दृग पाल सिंह राठौर का जन्म 23 दिसम्बर 1945 को वीरों की धरती जनपद शाहजहांपुर के गाँव नौगवां में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री सु…
Read more »साथ हम भी जमाने के चलते रहे वक्त का कुछ ना एहसास हमको हुआ जिंदगी का मुझे किसने पैगाम दी कौन देता रहा हर तरह बद्दुआ। किसके आमद से हम खौफ खाते रहे …
Read more »वाहक संस्कृति की बने ,है भारत की शान । बना राज भाषा इसे ,बढ़े देश का मान ।। सरकार तर्क दे रही , कठिन बहुत हैं शब्द । देवनागरी लिपि लिखो ,हो …
Read more »नींद नहीं है इन रातों में, करती छुपम–छुपाई है। चाँद रोशनी की मिली झलक , है खिड़की पर दुबके से, टिम–टिम करते इन तारों क…
Read more »उसको अपनी कहानी बता न सका उस पे हक भी अपना जता न सका जब उसने बताया मुझे कुछ जरा मैं उसके कहे को पचा न सका बूंद ऐसी गिरी लचीली शाख से उसकी शोख…
Read more »करू–करू लोगन के बोली, मोला अब्बड़ रोवाथे। कच्चा लकड़ी कस गुँगवावत, अंतस के पीरा सहिथँँव, बैरी होगे ये दुनिया हर, …
Read more »वो शाम कुछ अजीब थी ……! रात के क़रीब थी । रात गहरा रही थी शायद कुछ बता रही थी । इस ढलती रात में समेट रही थी कुछ ख़्वाब । ढूँढ रही थी मैं उन्हें इध…
Read more »गांव के सरहद वाली पगडंडी ही तब एक कोस दूर वाली बड़की पक्की सड़क पर ले जाती थी तब जाकर पास के बाजार या शहर जाने को सवारियां मिल पाती थी. कल की प…
Read more »नहीं समझ पाता हूँ मन में द्वेष भाव क्यों आता है न चाहने पर भी कोई बात ध्यान में आ जाने पर उस व्यक्ति के प्रति मन यह कहता है उसका बुरा अव…
Read more »सब कुछ ठीक हो जाएगा , धर्यै मत खोना तुम कभी। आए कभी मुसीबत जीवन में , याद रखना सदा " मैं हूँ ना " ।। थक भी जाओ चलते-चलते ह…
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