नहीं समझ पाता हूँ
मन में द्वेष भाव
क्यों आता है
न चाहने पर भी
कोई बात ध्यान में
आ जाने पर
उस व्यक्ति के प्रति
मन यह कहता है
उसका बुरा अवश्य हो जाये
जिसने मुझ को दुःख पहुंचाया
लेकिन संत पुरुष कहते हैं
केवल ध्यान से ही मन
शुद्ध होता है और
बुरा नहीं सोचता।
बात है सच्ची
फिर भी मायावी
मोह के कारण
ध्यान भी नहीं हो पाता
परन्तु उस शक्ति की कृपा पाकर ही मन शुद्ध हो सकता है
जो विराट है,अद्वितीय है
और निराकार है
डा. केवलकृष्ण पाठक
सम्पादक
रवीन्द्र ज्योति मासिक पत्रिका,
आनन्द निवास, गीता कालोनी, जींद (हरियाणा)