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है समंदर लबालब

 




उसको अपनी कहानी बता न सका

उस पे हक भी अपना जता न सका


जब उसने बताया मुझे कुछ जरा

मैं उसके कहे को पचा न सका


बूंद ऐसी गिरी लचीली शाख से

उसकी शोखी को पत्ता जता न सका


है समंदर लबालब नैनों में उसकी

ख्वाब कोई उसमें समा न सका


हिंसा ने नग्न नृत्य किया पूरे शहर में

फरिश्ता कोई आकर बचा ना सका




डॉ० अखिलेश शर्मा

23, अंबिकापुरी मेन 60फीट रोड़

इन्दौर, मध्य प्रदेश