Ads Section

नवीनतम

10/recent/ticker-posts

तेरे बिन….!


जो मिल गई, वो मोहब्बत कैसी ।
जिसे पा लिया, वो महबूब कैसा ।
मोहब्बत में ना हो कसक
ना हो दर्द ,ना हो जुदाई ।
वो मोहब्बत कैसे कहलाई !
मोहब्बत के बदले मोहब्बत ।
तो है इक सौदा ।
इसे पाने की चाह में
मिलता है अक्सर धोखा ।
मोहब्बत तो मोहब्बत है ।
चाहे हो इक तरफ़ा ।
ना इनकार ,ना इकरार ।
ना शहनाई ,ना विदाई ।
ना वफ़ा ,ना बेवफ़ा ।
नहीं होती इनकी कोई गुंजाइश ।
जहाँ होता है त्याग,होता है जज़्बा ।
वहाँ होता है खुदा का भी सदका ।
ऐ मोहब्बत ….!
मुझे यूँ बार- बार आज़माया मत करो ।
कह दो जाकर उनसे ….!
नहीं करेंगे कोई शिकवा- शिकायत ।
बस ….!
बार- बार यूँ याद ना आया करो ।
नहीं बन सकते हो हक़ीक़त
तो ख़्वाब में भी ना आया करो ।
स्वीकार है हमें अपनी तन्हाई ।
बस ….!
तुम नज़र मत आया करो ।
रह लेंगे तेरे बिन …!
कह दिया है हमने दिल से भी ….!
ज़रा सोच कर दिल लगाया करो ।

आशा भाटिया
नयी दिल्ली