कुछ सपने खरीद लिये मैंने l
नींद बेचकर रातों की ll
पूरा करने की, जिद में उन्हें l
कुर्बानी दी जज्बातों की ll
लाख कोशिशें की मैंने, पर l
तकदीर को जब, न खरीद सका ll
सौदा ए मुकद्दर, तय न हुआ l
तो लकीरें बदल दी, हाथों की ll
जिद के आगे झुका नहीं, मैं l
मार झेल कर, हालातों की ll
चलता रहा, कभी फ़िक्र न की l
राह में बिखरे कांटों की ll
शिद्दत से चाहत थी, जिसकी l
जिद से अपनी, पाया उसे ll
लड़ने से कभी, डरा नहीं मैं l
मैदान ए जंग, हालातों की ll
चैन भी बेचा, सुकूं भी बेचा l
बेच दी खुशियाँ, दिल की सारी ll
झरोखे बेच दिये, आंखों के l
तन्हा रह गई, आंख बेचारी ll
सपने पूरे किए है, दिल के l
बेच के अरमान, दिल के सारे ll
सौदा न था घाटे का यह l
मंज़िल खुद चल कर है पधारी ll
सचिन तिवारी
इन्दौर , मध्य प्रदेश