बेवफा कौन

अरुणिता
द्वारा -
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मेघना अपनी मां के साथ शाम को पार्क में टहलने जाया करती थी। साहिल भी शाम को कुत्तों को ब्रेड खिलाने पार्क में आ जाया करता था।कुछ ही दिनों में उनमें आपस में बातें होने लगी। मेघना और साहिल दोनों ने बीटेक कर रखा था। काम्पीटीशन की तैयारी कर रहे थे।
एक ही जाति के थे। मेघना की मां को उनके बातचीत करने से, मिलने जुलने से कोई परेशानी नहीं थी।वह तो चाहती थी कि साहिल की कोई सरकारी जॉब लग जाए तो वह उन दोनों की शादी कर दे। साहिल भी मेघना को मन ही मन चाहने लगा था और शादी करने के सपने देखने लगा था।
समय गुजरता गया। मेघना की नौकरी लग गई।
तीन साल से अधिक का समय कब गुजर गया ,पता ही नहीं लगा।साहिल हर प्रतियोगी परीक्षा में एक,दो नंबर से रह जाता।उसकी सरकारी नौकरी नहीं लगी।
दोनों अलग-अलग कस्बों में रहने लगे।
साहिल ने एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी ज्वाइन कर ली थी। इस आशा में कि मेघना भी उससे प्यार करती है और उससे ही शादी करेगी।
दूर दूर रहने के कारण अब उनकी बातचीत भी दस-पंद्रह दिनों में होने लगी थी।
अचानक एक दिन साहिल को किसी से सूचना मिली कि मेघना ने सगाई कर ली है ।
सुनकर वह परेशान हो गया ।उसने तुरंत मेघना को फोन लगाया। उसने फोन नहीं उठाया।
मेघना की मां को फोन लगाया तो मां ने कहा," हां सगाई कर ली है। कब तक वह तुम्हारा इंतजार करती। तुम्हारी तो सरकारी जॉब लगी नहीं।"
साहिल ने उसकी मां को समझाने का प्रयास किया तो उसने कहा , मेघना से ही बात कर लो।" और यह कहते हुए फोन मेघना को पकड़ा दिया। मेघना ने बिना कोई भूमिका के साफ साफ कह दिया कि," हां मैंने सगाई कर ली है।वह उससे शादी नहीं करना चाहती। क्योंकि उसके पास सरकारी जॉब नहीं है।"
साहिल ने उसे खूब समझाने का प्रयास किया लेकिन उसने बिल्कुल साहिल से शादी करने को मना कर दिया।
अंत में साहिल ने गुस्से में कहा," कि मेरे पास हमारे साथ-साथ घूमने के अंतरंग फोटोग्राफ्स हैं। मैं तुम्हारे ससुराल वालों को इनको दिखा दूंगा तो क्या होगा?"
मेघना ने तपाक से उत्तर दिया, "क्या तुम्हारा मेरे लिए यही प्यार है। प्यार में तो लोग जाने क्या-क्या करते हैं और तुम्हें मेरी इतनी सी खुशी तक मंजूर नहीं। बेवफा!"
सुनकर साहिल ने फोन काट दिया। उसके समझ में नहीं आ रहा था कि बेवफा वह है या मेघना।


हनुमान मुक्त
"मुक्तायन" 93, कांति नगर
मुख्य डाकघर के पास
जिला- गंगापुर सिटी (राजस्थान)

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