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नहीं वह सम्मुख


नहीं वह सम्मुख

अचरज की न बात

मेरी व्यथा से है विमुख

मन पर कुठाराघात|



मेरी व्यथा का रहा न भान

भूल गए मेरा त्याग बलिदान

सारी कामनाएं अधोगति को प्राप्त

कि मेरे स्वामी बन जाए महान|



उच्चतम हो उनका ज्ञान दर्शन

और न्यूनतम हो प्रेम दर्शन

ज्ञान पिपासा के शांति उपरांत

कर देते मेरी व्यथा का भी वर्णन|



वियोग रहेगा और कितने वसंत

क्या होगा कभी मेरी व्यथा का अंत

जग को पीड़ा मुक्ति का ज्ञान देने वाले

पत्नी की व्यथा को क्यों न समझते संत|



 राजीव कुमार

ग्राम- चंडीडीह, पोस्ट- सबलपूर
जिला- बाँका, बिहार

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