Ads Section

नवीनतम

10/recent/ticker-posts

सैनिकों का अपमान



    मां और मातृभूमि दो ऐसे संबंधात्मक शब्द हैं जिनका नाम लेते ही श्रद्धा और आदर से सिर झुक जाता है, इनका जितना वंदन तथा अभिनंदन किया जाए वह कम है। मां और मातृभूमि के आदर तथा सुरक्षा के प्रति हमारे देश के लोगों में एक महत्वपूर्ण भाव /विचार रहा है। इस विचार से ओतप्रोत होकर अब तक हमारे देश के असंख्य वीरों ने विभिन्न युद्धों तथा यौद्धिक संक्रियाओं में अपनी मातृभूमि की सुरक्षा में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। इन वीर सैनिकों की वीरता को सम्मान से सम्बोधित करने के लिए आमतौर पर शहीद शब्द का उपयोग किया जाता है, जो कि सैनिकों के संदर्भ में उचित नहीं है।

    युद्ध या यौद्धिक संक्रियाओं में देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की बाजी लगा देने वाले वीर सैनिकों को शहीद न कहा जाए, इसको लेकर पिछले वर्ष सेना मुख्यालय ने अपने सभी कमान को एक परिपत्र जारी किया था । सेना ने अपने उस परिपत्र में लिखा था कि देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिक को 'Martyr' अर्थात 'शहीद' कहा जाता है जो कि ठीक नहीं है।

    सेना ने अपने पत्र में देश की एकता और अखंडता की रक्षा के लिए वीरगति प्राप्त करने वाले सैनिकों के लिए छह शब्दों के प्रयोग का सुझाव भी दिया था - इन शब्दों में Killed in action (कार्रवाई के दौरान मृत्यु) , Laid down their lives (अपना जीवन न्यौछावर करना), Suprem sacrifice for Nation ( देश के लिए सर्वोच्च बलिदान), Fallen Heros (लड़ाई में मारे गए हीरो), India Army braves (भारतीय सेना के वीर) , Fallen Soldiers (ऑपरेशन में मारे गए सैनिक) है ।

    भारतीय सेना और रक्षा मंत्रालय कई बार यह साफ कर चुका है कि सेना की शब्दावली में कहीं भी Martyr या शहीद शब्द का का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। यदि कोई सैनिक लड़ाई के दौरान सर्वोच्च बलिदान देता है तो उसे Battle Casualty कहा जाता है। यह प्रश्न संसद में भी उठा था । 22 दिसंबर 2015 को गृह मंत्रालय की ओर से संसद में जवाब दिया गया था कि शहीद या Martyr शब्द का प्रयोग ना तो सेना और ना ही सेंट्रल आर्म्ड फोर्सेस के लिए किया जाता है। 2017 में एक आर टी आई के तहत मांगी गयी सूचना के उत्तर में रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय ने कहा था कि हम Martyr या शहीद शब्द का प्रयोग नहीं करते हैं।

    शहीद शब्द मुख्य रूप से ग्रीक भाषा का शब्द है।प्राचीन ग्रीक में लिखी गई बाइबिल में इस शब्द का जिक्र है। बाद में इस शब्द का इस्तेमाल उन लोगों के लिए किया जाने लगा जो धर्म के लिए अपनी जान देते थे।शहीद शब्द को अंग्रेजी में 'Martyr' और शहादत शब्द को अंग्रेजी में 'Martyrdom' कहते हैं।
    
    हमारे देश में भी काफी समय पहले से 'शहीद' शब्द का प्रयोग उस व्यक्ति के लिए किया जाता है जिसकी मृत्यु किसी राजनीतिक या धार्मिक कृत्य के लिए सजा के तौर पर हुई हो या वह व्यक्ति अपनी राजनीतिक या धार्मिक सोच के लिए मृत्यु को प्राप्त हुआ हो। इस शब्द का जुड़ाव शुरुआत से ही ईसाई धर्म से रहा है। ईसाई धर्म के शुरुआती 200 वर्षों की यदि हम बात करें तो जब ईसा मसीह को सूली पर चढ़ा दिया गया था, उस समय ईसाईयों को रोमन साम्राज्य में बहुत यातनाएं दी जाती थी। इन यातनाओं के बाद जो लोग मृत्यु को प्राप्त हो जाते थे तो उन्हें उस समय Martyr कहा जाता था।
    
    21वीं शताब्दी में शहीद शब्द ग्रीक और अरबी भाषा से होता हुआ हमारे देश में पहुंचा और यह उर्दू और हिंदी भाषा में धड़ल्ले से प्रयोग होने लगा। 20वीं और 21वीं शताब्दी में शहीद शब्द का इस्तेमाल मुख्य रूप से स्वतंत्रता आंदोलनों में अपने देश और समाज के लिए बलिदान देने वाले लोगों के लिए होने लगा। आज भी देश के क्रांतिकारियों सरदार भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव, चंद्र शेखर आजाद तथा असफाक उल्ला खान आदि के लिए शहीद शब्द का प्रयोग किया जाता है।

    सेना द्वारा परिपत्र जारी करने तथा संसद में सरकार के कहने के बावजूद भी हमारे देश के केंद्रीय और राज्य सरकारों के सैनिकों से संबंधित कार्यालयों में वीरगति प्राप्त करने वाले सैनिकों के लिए अंग्रेजी में मार्टियर और हिंदी में शहीद शब्द का प्रयोग खूब किया जा रहा है। इस शब्द का प्रयोग करने में इलेक्ट्रॉनिक तथा प्रिंट मीडिया भी पीछे नहीं है। विभिन्न सरकारी तथा गैर सरकारी आयोजनों में भी बड़े बड़े मंचो से जिम्मेदार पदों पर बैठे हुए लोग भी इसका प्रयोग धड़ल्ले से कर रहे हैं। देश की रक्षा में अपने प्राणों की बाजी लगा देने वाले सैनिकों से संबंधित पत्राचार में तथा राज्य सरकारों के विभिन्न सरकारी आदेशों में भी शहीद शब्द का प्रयोग लगातार जारी है। यहां तक कि राज्य सरकार में जिस विभाग की जिम्मेदारी इस शब्द के चलन को रोकने और सेना द्वारा सुझाए गए शब्दों के प्रयोग की जानकारी राज्य सरकारों और अपने अधीनस्थ कार्यालयों को देने की है, वह खुद ही इन शब्दों का प्रयोग अपने रोजमर्रा के पत्र व्यवहार में लगातार कर रहे हैं।

    इसी तरह वीरगति प्राप्त करने वाले सैनिकों की पत्नियों के लिए वीर नारी तथा वीरांगना जैसे शब्दों का प्रयोग करने के लिए सेना द्वारा समय समय पर कहा गया है लेकिन आज भी सरकारी कार्यालयों में उनके लिए अंग्रेजी में वार विडोज और हिंदी में विधवा जैसे असम्मानजनक शब्द सरकारी फाइलों में खूब लिखे जाते हैं ।

    सैनिक शब्द मन में एक सम्मान का भाव प्रकट करता है। सैनिक शब्द सुनते ही मन में वह भाव भाव हिलोरें मारने लगता है जिसका वर्णन करना कठिन है। एक सैनिक को सैनिक बनाए रखने में उसके परिवार की भूमिका अत्यंत सराहनीय होती है। वह सरहद पर निश्चित होकर निगहबानी तभी कर पाता है जब उसका परिवार उसे निश्चितता प्रदान करता है। इसलिए सैनिकों के सम्मान के साथ साथ उनके परिवार भी बराबर के सम्मान के हकदार है, इसलिए मेरा मानना है कि एक सेवानिवृत्त सैनिक की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी को भी विधवा न कहा जाए। उसके लिए दिवंगत सैनिक की पत्नी जैसे शब्दों का प्रयोग करके सम्मान दिया जा सकता है। ऐसे सम्मानित और समृद्ध विचार हमारे देश के सैनिक समाज के मनोबल को और ऊंचा करेंगे और देश की गरिमा को और ऊंचाई प्रदान करेंगे।

    राज्य सैनिक बोर्ड तथा राज्य सरकारों को चाहिए कि सैनिकों के सम्मान में सेना द्वारा सुझाए गए शब्दों को अमल में लाने के लिए अपने पूर्व के सभी सरकारी आदेशों में परिवर्तन कर सम्मानजनक शब्दों के प्रयोग के लिए अपने अधीन सभी विभागों को उचित आदेश दें, जिससे चल रही ग़लत परिपाटी बंद हो और वीरगति प्राप्त सैनिक, वीर नारियां तथा दिवंगत सैनिकों की पत्नियां, जिस सम्मान की हकदार हैं, उन्हें उनके हिस्से का सम्मान मिल सके।

हरी राम यादव
लखनऊ, उत्तर प्रदेश