दिल्ली। गांधी मातृभाषाओं के समर्थक थे। वे मातृभाषाओं को औपनिवेशिकता से लड़ाई का महत्त्वपूर्ण प्रतीक मानते थे। गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के निदेशक डा ज्वाला प्रसाद ने हिंदू कालेज में चल रहे मातृभाषा सप्ताह के समापन समारोह में कहा कि युवाओं को गांधी के सपनों का भारत बनाने के लिए आगे आना होगा। गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति परिसर में आयोजित इस समारोह में विभाग प्रभारी प्रो रचना सिंह ने कहा कि अपनी भाषाओं को मजबूत बनाने के लिए उनका अधिकाधिक प्रयोग करना होगा। गांधी अंग्रेजों से लड़ने के लिए हिंदी और भारतीय भाषाओं को ही आगे लाए थे। उन्होंने कहा कि गांधी पूरे विश्व के लिए सदैव प्रेरणीय हैं। सप्ताह की संयोजक डा नीलम सिंह ने सप्ताह के दौरान आयोजित गतिविधियों का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि इस दौरान विद्यार्थियों ने विभिन्न प्रतियोगिताओं में बढ़ चढ़ कर भाग लिया। विभाग में सहायक आचार्य डा पल्लव ने कहा कि यह महात्मा गांधी का साहस और स्वाभिमान ही था कि वे औपनिवेशिक चरम के बीच यह कह सकते थे कि गांधी अंग्रेजी भूल गया है। आज हमें अपनी भाषाओं को आगे बढ़ाने के लिए उसी समर्पण और आत्मविश्वास की जरूरत है।आयोजन में डा नौशाद अली ने गांधी के हिंदी से जुड़ाव के अनेक प्रसंग सुनाए। विभाग के वरिष्ठ शिक्षक डा विमलेंदु तीर्थंकर और समिति के अन्य पदाधिकारी भी समारोह में उपस्थित थे।
इससे पहले हिंदू कालेज के विद्यार्थियों के दल का कालेज से समिति पहुंचने पर समिति की तरफ से डा शैलजा ने स्वागत किया। उन्होंने विद्यार्थियों को गांधी दर्शन प्रांगण में लगी हुई प्रदर्शनियों का विस्तार से भ्रमण करवाया तथा समिति की गतिविधियों से परिचित करवाया। विद्यार्थियों ने गांधी जी से जुड़ी अनेक प्रदर्शनियों को देखा तथा ग्रंथागार से गांधी साहित्य भी लिया। स्वच्छता प्रदर्शनी और अनुपयोगी वस्तुओं से नई बनाई गई सामग्री की कार्यशाला का भी भ्रमण किया।
परिसर में गांधी जीवन और साहित्य प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया जिसमें तीनों वर्षों तक की कक्षाओं के छात्र छात्राओं ने भाग लिया।
अंत में हिन्दी साहित्य सभा के संयोजक जसविंदर सिंह ने आभार प्रदर्शित किया।
मौ० आरिश
हिन्दी साहित्य सभा
हिन्दू कालेज, दिल्ली