धरा का घर, हर किसी का,
जड़- चेतन सब, है इसी का,
मानव जाति, पशु- पक्षी सब
पेड़ पुष्पों से, रहित है कब,
सुंदर पृथ्वी, माँ हमारी,
सम्मान करो,जगत सारी,
मिल जुलकर, रक्षित करते,
हर दिशाएं, पूजित करते,
वसुंधरा प्रिय, हरियाली से,
प्रकृति सुशोभित, खुशहाली से,
रचेता सृजित, गृह अद्भुत ये,
बाकी निर्जन, सजीव है ये,
धन्य भाग्य मेरे, अवतरित हुए,
रम्या वसुधा, परिचित हुए,
हरी- भरी रहे, कर्तव्य अपना,
बसर करे सब , हक सबका,
रश्मि मृदुलिका
देहरादून उत्तराखंड