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शिक्षा का मंदिर



अपने कर्तव्य के प्रति समर्पण से,

महकता है शिक्षा का मंदिर।

अपने कार्य और जिम्मेदारी का बोध,

हो मन के अंदर।


आत्म संतुष्टि ही है,

सबसे बड़ा सम्मान।

सेवा भाव और समर्पण ही है,

सच्चे शिक्षक की पहचान।



विद्यार्थी में अध्ययन के प्रति रुचि जगाओ।

समय ,धन और तकनीक के सदुपयोग की सीख सिखाओ।

नवाचार और प्रयास से जीवन की तस्वीर बदल जाती है।

निरंतर अभ्यास से ही जीवन में सफलता आती है।



प्रोफे० (इंजी०) भजनलाल हंस बघेल
प्रिंसिपल
जी वी एन पॉलिटेक्निक कॉलेज
पलवल, हरियाणा