अभी बाकी है

अरुणिता
द्वारा -
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ऐ, सांस थोड़ा धीमे चलो न,

अभी ढ़ग से जीये ही कहां है|

अभी प्रतीक्षा में है मेरी आंखें

अभी संयोग की रैना बाकी है|



अधुरे है अहसास अभी मेरे,

आशाओं की दरारें भरी कहां है|

कि ठहरो अभी, तपती धूप में हूँ,

अभी राहत की शाम दूर बड़ी है|

संबधों के धागों में उलझी हुई हूँ|

हृदय के गिरह खोलने बाकी है|



कुछ रूठे हैं, कुछ अपने है|

आंखों में ही सपने ठहरे हैं|

उम्मीदें तकाज़ा कर रही है

अभी उतारने कर्ज बाकी है|

अभी सीपी में बंद है मन का मोती,

आवरण हटा कर चमकना बाकी है|



चल रही हूँ राहगीरों के बीच,

अभी भीड़ की पहचान बाकी है|

मंजिल की ओर कदम बढ़ रहें हैं|

थोड़ा तो ठहरो, अभी शुरुआत बाकी है|



रश्मि मृदुलिका

देहरादून, उत्तराखण्ड

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