चल रहे हैं लोग।
अपनी करतूतों का फल
भोग रहे हैं लोग।
रोज हत्या और बलात्कार
कर रहे हैं लोग।
गुंडे और मवाली बनकर
घुम रहे हैं लोग।
शहर में दंगा भड़काकर
तमाशा देख रहे हैं लोग।
खून बे गुनाहों का
बहा रहे हैं लोग
सत्ता के नशे में डूबे
नजर आ रहे हैं लोग।
अपने आगे किसी को
कुछ नहीं समझ रहे लोग।
बद्री प्रसाद वर्मा अनजान
गल्ला मंडी गोला बाजार 273408
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश