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मुलाकात जो कभी हुई ही नहीं


अक्सर कहते मुलाकात होगी
,

वह मुलाक़ात अभी हुई ही नहीं।


हर दिन होते, रातें होती, वादे होते,

लेकिन, लेकिन कभी मुलाकाते न होती।

 

कल भी किया था मुलाकात का वादा,

मिलेंगे हम कल शाम, कुछ भी हो जाता।

 

चाह थी, एक मुलाकात करने की,

पर मंजिल ने मोड़ दिया वो रास्ता।

 

हकीकत में चाह थी, एक झलक पाने की,

पर स्वप्न में भी, न मुलाकात न हो सकी।

 

मुलाकात के बिना, ऐसा लगता है,

जैसे शब्दों के बिना, कोरी किताबें।

 

आंखों में चमक थी, तुम्हारे दीदार की,

तुम्हें न देख सकें, इसलिए आंखों के सामने अंधेरा था।

 

कब तुम आओगे, कब वो वक्त आएगा,

जिस दिन, जिस दिन मुलाकात होगी.......सिर्फ तुमसे,

 

देश दीपक

हरदोई, उत्तर प्रदेश