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सोशल नेटवर्किंग का प्रभाव

 सोशल नेटवर्किंग का प्रभाव:  सकारात्मक अथवा नकारात्मक

"सोशल मीडिया की सर्वाधिक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसने समाज के कमजोर वर्गों को स्वयं की समस्याओं को उठाने हेतु सशक्त माध्यम बनाया है।" जॉन रॉनसन की ये पंक्तियां सोशल मीडिया के महत्व पर प्रकाश डालती है। आधुनिक परिवेश में जब व्यक्ति जटिल जीवनशैली के साथ जीवन व्यतीत कर रहा है, उसके पास अपनों के पास बैठने अथवा रिश्तेदारों से मिलने के लिए समय नहीं है। संबंधों के बीच निरंतर दूरियां बढ़ती जाती है। व्यक्ति अलगाव, अवसाद और भावनात्मक सहयोग न मिलने के कारण निराशा के भंवर में कहीं खोने लगता है। आत्महत्या जैसी परिस्थितियां सामने आ जाती है। ऐसे में सोशल नेटवर्किंग का महत्व समझ आता है । अपने आचार विचार आॉडियो वीडियो और फोटो शेयर करके दूर बैठे अपनों से संबंध स्थापित कर लेते हैं। प्रायः यहां पर नवीनतम जानकारियां तुरंत उपलब्ध हो जाती है।

मानव प्राचीन काल से ही अपनी अभिव्यक्तियों को व्यक्त करने के लिए एक सशक्त माध्यम का अन्वेषण करता रहा है। वर्तमान लोकतांत्रिक समाज में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र का आधार है। यह एक ऐसा आनलाइन मंच है जो व्यक्तियों के मध्य सामाजिक संबंधों को बनाने अथवा उनको परिलक्षित करने पर केंद्रित है। राजनीतिक एवं सामाजिक गतिविधियों के प्रचार प्रसार में सोशल नेटवर्किंग प्लेटफार्म ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह एक ऐसा सर्वसुलभ एवं सस्ता साधन है जिस पर अपनी प्रतिक्रियाएं प्रदान करने हेतु सब स्वतन्त्र है। समस्त विश्व की भौगोलिक, सामाजिक, और राष्ट्रीय सीमाओं को समाप्त करते हुए सबको एक सूत्र में बांधने का अनुपम कार्य कर रहा है। सोशल नेटवर्किंग आज व्यवसाय के क्षेत्र में भी सशक्त प्लेटफार्म बनकर सामने आया है। सोशल नेटवर्किंग साइट लिंक्डइन कॉम का उपयोग सामाजिक संपर्क बढ़ाकर,व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो रहा है।

शिक्षा के क्षेत्र में भी इसका क्रांतिकारी परिवर्तन सामने आया है। शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के मध्य यह अत्यंत लोकप्रिय हो गया है क्योंकि यह विद्यार्थियों को जानकारी साझा कर रहा है। विकीपीडिया जैसी अनेक सोशल साइट्स विद्यार्थियों को ज्ञान प्रदान कर रही है। जहां बहुत महंगें कोचिंग सेंटर्स को हर विद्यार्थी अफोर्ड नहीं कर सकता। ऐसे स्थान पर सोशल साइट्स के माध्यम से विद्यार्थी कम पैसे में वही कोचिंग घर बैठकर कर पा रहे हैं और सफलता के नित नए आयाम स्थापित कर रहे हैं। अनेक लोग कम समय में ही वायरल होकर अपनी पहचान स्थापित कर रहे हैं।जो महिलाएं घर से बाहर जाकर धनोपार्जन नहीं कर सकती,वे इस पर अपने हुनर का धमाल मचा रही है। कुकिंग, ब्यूटी टिप्स,योग इत्यादि हर क्षेत्र में अपनी योग्यता साबित करते हुए पैसे भी कमा रही है। भारत के संदर्भ में सोशल नेटवर्किंग के महत्व को सामाजिक परिवर्तन के रूप में देखा जा सकता है।

परंतु हर सिक्के के दो पहलू अवश्य होते हैं। अच्छाई के साथ बुराई अवश्य आती है। सोशल नेटवर्किंग भी इसका अपवाद नहीं है।आज हर इंसान दिनभर की गतिविधियों को सोशल मीडिया पर अपलोड कर रहा है।उसकी निजता को की सुरक्षा का संकट सामने आ गया है।सब प्रसन्नता का अनुभव कर रहे हैं कि वे सोशल मीडिया के जरिए नेम एंड फेम प्राप्त कर रहे हैं परन्तु वे नहीं जानते कि अपनी समस्त जानकारी साझा कर रहे हैं जिसके दुष्परिणाम भी सामने नजर आ रहे हैं। सोशल नेटवर्किंग के माध्यम से समय की बर्बादी तो होती ही है साथ ही दिखावे को बढ़ावा भी दिया जा रहा है। ऐसा लगता है कि इंसान कृत्रिम दुनिया में जी रहा है।फेक न्यूज, साइबर क्राइम,मान सम्मान का ह्रास इत्यादि से दो-चार हो रहा है। युवाओं में तनाव,कुंठा, अवसादग्रस्तता जैसी समस्याएं पैर पसार रही है। अफवाहों को फैलाकर हिंसा को बढ़ावा दिया जा रहा है। मुजफ्फरनगर में हुए हिंदू मुस्लिम दंगे इसी बात का प्रमाण है। सोशल नेटवर्किंग के माध्यम से दहशतगर्दी का वातावरण निर्मित किया जाता है।आज का इंसान अपने संबंधों, परिवार से दूरी बनाकर पूरी दुनिया से रिश्तें निभाता हुआ प्रतीत हो रहा है। पहले जहां बैठकर आपस में हंसी मजाक का दौर चला करता था वहीं आजकल सभी बस अपने अपने मोबाइल लेकर व्यस्त रहते हैं।एक दूसरे से मानों कोई सरोकार ही नहीं रह गया है।

अतः हम कह सकते हैं कि आधुनिक युग सूचना एवं तकनीकी का युग है।बस आवश्यकता है तो इसका प्रयोग एक सीमित दायरे में करें जिससे दूसरों के अधिकारों का उल्लंघन न हो।इसका प्रयोग मानव सभ्यता के विकास के लिए हो सकें न कि नैतिक मूल्यों के ह्रास के लिए न हो। अपना बहुमूल्य समय अपनों के लिए हो ना कि अपभ्रंश वीडियो अथवा अमर्यादित चीजों को बढ़ावा देने में।


अलका शर्मा
शामली, उत्तर प्रदेश