खुशनसीब हूं,
बाप बना हूं,
मैं बेटी का बाप हूं,
देख उसे मैं खुश हूं!
नन्हें पग वह चलती थी,
घर - आंगन में खुशियां थी,
घांघरिया कम पैसों की,
लाता ऊसको खुश होती थी!
बड़ी हुई तो उसे क्या कहूं,
पूरा ख्याल मेरा रखती थी,
मेरी बण्डी फटी देखकर ,
एक वही चिंता करती थी!
कुर्ती नहीं लाना मुझे बापू,
अपने को बण्डी ले लेना बापू,
मेरी कुर्ती अभी फटी नहीं है,
अपने को गमछा ले लेना बापू!
कैसे बताऊं मैं बेटी तुझको,
तू इज्जत है मेरी बिटिया,
मैं फटे में रहकर भी खुश हूं,
कुर्ती लाऊं मैं नई जो तुझको!
बिदा हो गई मेरे घर से बेटी,
दोहरी चिंता करती है बेटी,
मायके की भी खबर है रखती,
मर्यादा का नाम है बेटी!!
सतीश "बब्बा"
सतीश चन्द्र मिश्र,
ग्राम व पोस्ट आफिस= कोबरा,
जिला - चित्रकूट, उत्तर - प्रदेश- 210208