रजनी कालेज से घर पहुंची,मां ने पूछा ,"आज बड़ी देर कर दी"? ,तो उसने बड़ी रुखाई से उत्तर दिया हां लाइब्रेरी में किताब ढूंढ रही थी समाज शास्त्र की नोटस बनाने हैं आप भी ज़रा सी देर क्या हुई तुरंत प्रश्नों का अंबार लगा देती हैं। कहीं गुलछर्रे उड़ाने नहीं गई थी। मां को उससे ऐसे जवाब की अपेक्षा नहीं थी बेचारी अपना सा मुंह लेकर खाना परोसने में लग गईं। बच्चे बड़े हो जाते हैं तो ज्यादा टोका टाकी पसंद नहीं,ये बात मां भी जानती थी पर बच्चे समय पर घर न लौटें तो चिंता होना स्वाभाविक है और ऐसा तो कुछ नहीं कहा कि रजनी को इतना बुरा लगा और यूं ज़वाब देने लगी। मन में यही सोचते हुए उनकी आंखो से आंसू बह निकले। रजनी खाना लेने रसोईघर में आई तो उसने मां को आंसू पोंछते हुए देख लिया था,पर उसने जताया नहीं कि उसने देखा है।चुपचाप खाना खाकर वो अपने कमरे में चली गई और अपनी गलती का एहसास उसे हो गया उसकी आंखों से पश्चाताप के आंसू बह निकले उसने मां का विश्वास तोड़ा आज सहेलियों के साथ फिल्म देखने चली गई थी। बात बहुत बडी नहीं थी पर मां के विश्वास के साथ छल किया वो तुरंत उठी और मां को जाकर सब सच बता दिया और अपने व्यवहार के लिए माफी मांगी। आंखों से पश्चाताप के आंसू बह रहे थे, जिन्हें मां ने प्यार से पोंछ दिया।
कविता शर्मा