ताल तलैया सूख गये
धरती प्यास से तड़फ उठी
जंगल के पेड़ सूख कर गिर गये
दावा नल की आग लगी ।।
ऐसी भीषण गर्मी पड़ी ।।
पशु पंछी व्याकुल हुए
मृग तृष्णा मे दौड़ रहे
नही मिला पानी पीने को
मौत सामने हुई खड़ी ।।
ऐसी भीषण गर्मी पड़ी ।।
जो इठलाती थी बलखती थी
जल की मछली रानी थी
नदी ताल का जल सुखा
मछली रानी मरी पड़ी ।।
ऐसी भीषण गर्मी पड़ी ।।
सूर्य उतर आया धरती पर
मानो जैसे आग लगी
सूख गया सब जल धरती का
धरती सारी चिटक पड़ी ।।
ऐसी भीषण गर्मी पड़ी ।।
किये हुए मेरे कर्मो का फल है
हरित क्रांति ख़त्म हुई
पेड़ काट काट के बनी इमारत
चौड़ी सडके फटी पड़ी ।।
ऐसी भीषण गर्मी पड़ी ।।
उत्तम कुमार तिवारी "उत्तम"
३६१ " का पुराना टिकैत गंज
लखनऊ-२२६०१७
उत्तर प्रदेश