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प्रेम गलियाँ


आज फिर से प्रेम की उन गलियों में,

जाने को जी चाहता है

तेरे पास आकर तुझे,

गले लगाने को जी चाहता है,

तड़पाती है तेरी यादें मुझे हर पल जानॉं

बस एक बार तेरी बाहों में,

खो जाने को जी चाहता है,

इन आंखों से बारिश हो रही है मेरे प्यार की

बस एक बार तेरा ,

दीदार करने को जी चाहता है,

बंदिशें हजार हैं इस प्यार में,

बस एक बार तुमसे मिलने को मेरा जी चाहता है,

जल रही हूं तेरे प्यार में व़क्त -बे-व़क्त

बस एक बार तेरे प्यार के,

दरिया में डूब जाने को जी चाहता है।।



डॉ० रानी गुप्ता

सूरत, गुजरात