ख़ुशी को आज़माना आ गया है।
हमें हँसना -रुलाना आ गया है।
क़िताबों में पढ़ा है या सुना है,
सलीका वो निभाना आ गया है।
दुआओं से मिलेगी जीत अक़्सर
भरोसा अब जताना आ गया है।
शिक़ायत दूर करले आईना अब,
हमें चहरा छुपाना आ गया है।
हवाएँ ले चलेगी अब घटा को,
समुन्दर को चिढ़ाना आ गया है।
जगी आँखें ,उड़ी नींदे हैं फिर भी,
हमें सपने सजाना आ गया है।
हमें हँसना -रुलाना आ गया है।
क़िताबों में पढ़ा है या सुना है,
सलीका वो निभाना आ गया है।
दुआओं से मिलेगी जीत अक़्सर
भरोसा अब जताना आ गया है।
शिक़ायत दूर करले आईना अब,
हमें चहरा छुपाना आ गया है।
हवाएँ ले चलेगी अब घटा को,
समुन्दर को चिढ़ाना आ गया है।
जगी आँखें ,उड़ी नींदे हैं फिर भी,
हमें सपने सजाना आ गया है।
नवीन माथुर पंचोली
अमझेरा धार, मध्यप्रदेश
पिन-454441